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UNRWA पर इसराइली संसद की पाबन्दी के बाद, यूएन के शीर्ष अधिकारियों ने जताया क्षोभ

UNRWA पर इसराइली संसद की पाबन्दी के बाद, यूएन के शीर्ष अधिकारियों ने जताया क्षोभ

UNRWA 1949 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा से शासनादेश मिलने के बाद से, ग़ाज़ा, पूर्वी येरूशेलम सहित पश्चिमी तट, और लेबनान, जॉर्डन व सीरिया में फ़लस्तीनी शरणार्थियों को सेवाएँ मुहैया कराती रही है. ग़ाज़ा युद्ध के दौरान, विशाल स्तर पर मानवीय सहायता आवश्यकताएँ उपजी हैं और यूएन एजेंसी के समन्वय में ही ज़रूरतमन्द आबादी तक राहत पहुँचाई जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के प्रवक्ता जर्मी लॉरेन्स ने जिनीवा में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि इस क़ानून के लागू होने से उन सभी लोगों के अधिकारों पर असर होगा, जो यूएन एजेंसी पर निर्भर हैं.

“UNRWA के बग़ैर, ग़ाज़ा की अधिकाँश आबादी के लिए भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा अन्य सेवाओं के साथ पूरी तरह से ठप हो जाएगी.”

“पिछले एक वर्ष में, आम नागरिकों ने इस हिंसक टकराव की भीषण क़ीमत चुकाई है और अब इस निर्णय से उनके लिए हालात और अधिक ख़राब होंगे.”

यूएन एजेंसी प्रवक्ता ने ग़ाज़ा पर इसराइल की बमबारी में हज़ारों आम नागरिकों की मौत होने के विषय में अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का पालन ना किए जाने की बात दोहराई.

जर्मी लॉरेन्स का कहना है कि इसराइल अनेक सन्धियों के तहत तयशुदा दायित्वों से बंधा है, जिनमें आर्थिक व सामाजिक अधिकारों के लिए अन्तरराष्ट्रीय वचन-पत्र भी है.

‘असहनीय क़दम’

इसराइली संसद, क्नैसेट ने यूएन एजेंसी के विरुद्ध 92-10 के अन्तर से सोमवार को दो विधेयक पारित किए हैं, जिनमें संगठन पर पाबन्दी लगाए जाने का प्रावधान है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने मंगलवार को कहा कि इस क़दम को सहन नहीं किया जा सकता है, जिससे UNRWA पर निर्भर लोगों का जीवन व स्वास्थ्य प्रभावित होगा.

WHO प्रवक्ता तारिक यासरेविच ने बताया कि ग़ाज़ा पट्टी में हर चार में से एक UNRWA कर्मचारी, एक स्वास्थ्यकर्मी है, जो नियमित कामकाज के अलावा लोगों की ज़िन्दगियों को बचाने में भी जुटे हैं.

पिछले वर्ष, उन्होंने चिकित्सा केन्द्रों पर 60 लाख से अधिक बार लोगों को स्वास्थ्य परामर्श दिए, जिन्हें यूएन द्वारा संचालित किया जाता है. ये सुविधा, ग़ाज़ा की आधी से अधिक आबादी को प्रदान की जा रही है.

बताया गया है कि ये स्वास्थ्य टीम, बच्चों के लिए नियमित प्रतिरक्षण, टीका लगाने के प्रयासों का भी हिस्सा होती हैं, और साथ ही बीमारी व कुपोषण की आरम्भिक जाँच की जाती है.

राहत क़ाफ़िले के मार्ग में अवरोध

7 अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हमास के आतंकी हमलों के बाद, इसराइल ने ग़ाज़ा पट्टी में जवाबी सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिसे अब एक वर्ष से अधिक समय हो चुका है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा कि स्थानीय आबादी तबाह हो चुकी है और उन्हें पर्याप्त स्तर पर बाहरी मदद नहीं मिल पा रही है.

इस महीने, सहायता उद्देश्यों से यूएन मिशन के 25 अनुरोध भेजे गए थे, जिनमें से केवल सात ही पूरे हो पाए हैं, जबकि अन्य को या तो नकार दिया गया या फिर उनके मार्ग में अवरोध खड़े गए.

तारेक यासरेविच ने कहा कि जब तक लड़ाई में मानवीय आधार पर ठहराव के लिए कोई समझौता नहीं होगा, तब तक उत्तरी ग़ाज़ा में बच्चों को पोलियो वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक देने की मुहिम चलाना सम्भव नहीं है. 

इस बीच, मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) येन्स लार्क ने कूटनैतिक विकल्पों को खुला रखने पर ज़ोर दिया है. उन्होंने कहा कि UNRWA द्वारा क़ाबिज़ इलाक़े में जिन लाखों फ़लस्तीनियों को मदद मुहैया कराई जाती है, उनके लिए यह ज़रूरी है.

उन्होंने बताया कि यह कोशिश की जा रही है कि क्नैसेट में पारित हुए विधेयक को लागू ना किया जाए, चूँकि अगर यह क़ानून बन गया, तो यह इसराइल द्वारा ग़ाज़ा के निवासियों को सामूहिक रूप से दंडित करने का एक और कृत्य होगा.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने फ़लस्तीनी बच्चों और परिवारों तक ज़रूरी सहायता पहुँचाने में UNRWA की भूमिका को रेखांकित किया है. उन्होंने आगाह किया है कि ग़ाज़ा में छोटे बच्चों का जीवन व भविष्य दाँव पर लगा हुआ है.

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