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Union Budget 2024 : रियल एस्टेट कंपनियों को बजट 2024 से हैं ये 3 उम्मीदें

Union Budget 2024 : रियल एस्टेट सेक्टर में रौनक लौट आई है। यह उन सेक्टर में से एक था, जिस पर कोरोना की महामारी की सबसे ज्यादा मार पड़ी थी। अब घरों की मांग बढ़ी है। नहीं बिके घरों की संख्या में कमी आई है। साथ ही घरों की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। इससे रियल एस्टेट कंपनियों की वित्तीय सेहत सुधरी है। कंपनियां नए प्रोजेक्ट्स लॉन्च कर रही हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर को वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman के बजट से काफी उम्मीदें हैं। अगर सरकार उनकी उम्मीदें पूरी करती है तो इस सेक्टर को मजूबती मिलेगी। रियल एस्टेट सेक्टर की ग्रोथ बढ़ने से इकोनॉमी को काफी मदद मिलती है। यह सेक्टर रोजगार के मौके पैदा करने में सबसे आगे है। घरों की बिक्री बढ़ने से स्टील, पेंट, सीमेंट, बिजली सहित कई तरह की कंपनियों को फायदा होता है। रियल एस्टेट सेक्टर की बजट 2024 (Union Budget 2024) से तीन बड़ी उम्मीदें हैं।

रियल एस्टेट से जुड़े एक एग्जिक्यूटिव ने बताया कि सरकार को सबसे पहले होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन की लिमिट बढ़ाने की जरूरत है। अभी इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 24बी के तहत होम लोन के इंटरेस्ट पर एक वित्त वर्ष में 2 लाख रुपये तक के डिडक्शन की इजाजत है। इसका मतलब है कि होम लोन लेने वाला व्यक्ति उसके इंटरेस्ट पर एक वित्त वर्ष में 2 लाख रुपये तक के डिडक्शन का दावा कर सकता है। 2014 के बाद से इस लिमिट में बदलाव नहीं हुआ है। इस बीच घरों की कीमतें बढ़ने से ज्यादा अमाउंट का होम लोन लोगों को लेना पड़ता है। इसलिए सरकार को डिडक्शन की इस लिमिट को बढ़ाकर कम से कम 4-5 लाख रुपये करना चाहिए।

रियल एस्टेट कंपनियां सरकार से इस सेक्टर के लिए इंडस्ट्री का दर्जा चाहती हैं। इससे रियल्टी सेक्टर को मजबूती मिलेगी। गुरुग्राम की रियल एस्टेट कंपनी सिग्नेचर ग्लोबल के फाउंडर और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि देश की इकनोॉमिक ग्रोथ में रियल एस्टेट सेक्टर की अहमियत को देखते हुए सरकार को इसे इंडस्ट्री का दर्जा देना चाहिए। इससे इस सेक्टर में न सिर्फ निवेश बढ़ेगा बल्कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए माहौल बनेगा। प्रोजेक्ट्स के एप्रूवल के लिए सरकार को सिंगल विडो सिस्टम शुरू करना चाहिए। नोएडा की रियल्टी कंपनी ट्राइडेंट रियल्टी के ग्रुप चेयरमैन एस के नारवर ने कहा कि अगर रियल एस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा मिल जाता है तो कंपनियों को लोन लेने में आसानी होगी। उन्हें इंटरेस्ट रेट भी कम चुकाना होगा।

इस सेक्टर की तीसरी बड़ी मांग एफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा में बदलाव करने की है। कनफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशंस ऑफ इंडिया के चेयरमैन और गौड़ ग्रुप के चेयरमैन मनोज गौड़ ने कहा कि हम लंबे समय से एफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा बदलने की मांग कर रहे हैं। अभी एफोर्डेबल हाउसिंग के लिए जो दो बड़ी शर्तें हैं, उनमें बदलाव करने की जरूरत है। इसकी कीमत की 45 रुपये की लिमिट बढ़ाई जाए। साथ ही 90 वर्ग मीटर की लिमिट को भी बढ़ाया जाए। इससे घरों की मांग बढ़ेगी। एफोर्डेबल हाउसिंग को जीएसटी के मामले में फायदा मिलता है। 45 लाख रुपये से ज्यादा और 90 वर्ग मीटर एरिया से बड़े घर एफोर्डेबल सेगमेंट में नहीं आते हैं। इसलिए उन पर जीएसटी का 5 फीसदी रेट लागू होता है। एफोर्डेबल घर पर जीएसटी का 1 फीसदी रेट तय है।

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