Budget 2024 : यह कहना गलत नहीं होगा कि 2023-24 में इंडियन इकोनॉमी का बेहतर प्रदर्शन चौंकाने वाला रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 में इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ 7.2 फीसदी थी। दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी की ग्रोथ इस वित्त वर्ष में सुस्त पड़ने की आशंका थी। इस वित्त वर्ष की शुरुआत में सरकार और RBI का 6.5 फीसदी का ग्रोथ का अनुमान भी ज्यादा लग रहा था। लेकिन, इकोनॉमी के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए RBI को दिसंबर में ग्रोथ के अपने अनुमान को बढ़ाना पड़ा है। उसने इस वित्त वर्ष में ग्रोथ के अपने अनुमान को बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। इसके करीब एक महीने बाद स्टैटिस्टिक्स मिनिस्ट्री ने अपने पहले अग्रिम अनुमान में जीडीपी की ग्रोथ 7.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
यह जीडीपी का अग्रिम अनुमान है। आने वाले महीनों में इस अनुमान में कमी की जा सकती है। लेकिन, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ स्ट्रॉन्ग है। सवाल यह है कि क्या अगले साल यह ग्रोथ और बढ़ सकती है? इसका सवाल का जवाब है ना, जैसा कि वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत में ग्रोथ को लेकर आम राय थी। क्रिसिल के इकोनॉमिस्ट्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “इस वित्त वर्ष में ग्रोथ का अनुमान हमारी उम्मीद से ज्यादा रहा है।”
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पहला अग्रिम अनुमान तब आया है, जब वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ग्रोथ थोड़ी सुस्त पड़ी है। अगले वित्त वर्ष में स्लोडाउन जारी रहने की उम्मीद है। इसके पीछ कई वजहें हैं। पहला ग्लोबल ग्रोथ सुस्त पड़ रही है। हाई इंटरेस्ट रेट और फिस्कल कंसॉलिडेशन का असर दिख रहा है। पेंट-अप डिमांड अब खत्म हो रही है। दुनिया में जियोपॉलिटिकल अनिश्चितता बढ़ी है। क्रिसिल ने कहा है कि मध्य-पूर्व में जारी तनाव ग्लोबल ट्रेड और कमोडिटी की कीमतों के लिए रिस्क है। खासकर क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का असर इंडिया की ग्रोथ पर पड़ सकता है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 17 जनवरी को दावोस में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में इंडिा की ग्रोथ 7 फीसदी रहने की संभावना है।