Union Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को बजट पेश करेंगी। चूंकि यह अंतरिम बजट है, लिहाजा वित्त मंत्री इस बारे में ज्यादा कुछ बोलने से बच रही हैं। हालांकि, इस बजट में भले ही पॉलिसी या फिस्कल इंसेंटिव को लेकर घोषणाओं नहीं हों, लेकिन इसमें सरकार के इकोनॉमिक एजेंडे और टैक्स संबंधी योजनाओं का खाका मिल सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अंतरिम बजट से कुछ पॉजिटिव उम्मीदें रखी जा सकती हैं।
स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस (SMB) यूनिट्स के मालिकों की लंबे समय से मांग रही है कि GST रजिस्ट्रेशन के लिए न्यूनतम सीमा को बढ़ाया जाए। फिलहाल यह सीमा 20 लाख है और यह उम्मीद है कि इसे बढ़ाकर 50 लाख कर दिया जाए, ताकि छोटे कारोबारियों को इस मोर्चे पर राहत मिल सके। इसके अलावा, वित्त मंत्री से सर्विसेज के एक्सपोर्ट के सिलसिले में भी कुछ उम्मीदे हैं।
रिजर्व बैंक (RBI) धीरे-धीरे विदेश से आने वाली रकम के लिए फॉरेन इनवॉर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेट्स (FIRCs) की जरूरत को खत्म कर रहा है और इंडस्ट्री को उम्मीद है कि जीएसटी डिपार्टमेंट भी इस पर गौर करेगा।
बजट में जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट स्कीम को भी आसान बनाने की उम्मीद की जा रही है। पिछले साल जीएसटी को लेकर कई कारोबारी इकाइयों को नोटिस भेजे गए और उनके कारोबारी जांच-पड़ताल की गई। ऐसी नौबत इसलिए आई, क्योंकि उनके सप्लायर्स ने न तो जीएसटी रिटर्न फाइल किया था और न ही टैक्स जमा किया था।
इंडस्ट्री का सुझाव है कि 100 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाले बड़े टैक्सपेयर्स के छोटे सप्लायर्स का जीएसटी रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म के तहत भुगतान किया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सरकार तक टैक्स सही तरीके से जमा किया जा रहा है।
कस्टम के मोर्चे पर उम्मीद की जा रही है कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के तहत बेनिफिट्स हासिल करने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजिन से जुड़ी ऑपरेशन शर्तों पर गौर किया जाएगा और ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के लिए प्रोसेस को आसान बनाया जाएगा।
फिलहाल, अगर इंपोर्टर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का लाभ हासिल करना चाहता है, तो पोर्ट्स पर मौजूद कस्टम अधिकारी अक्सर सर्टिफिकेट्स ऑफ ऑरिजिन को जांच के लिए भेज देते हैं। यहां डिजिटाइजेशन की जरूरत है, जहां इंपोर्टर्स के लिए प्रोसेस को जटिल बनाए बिना सर्टिफिकेट्स ऑफ ऑरिजिन की जांच की जा सकती है।