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UNHCR: सूडान युद्ध, घरों को तब्दील कर रहा है क़ब्रिस्तानों में

UNHCR: सूडान युद्ध, घरों को तब्दील कर रहा है क़ब्रिस्तानों में

यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय – UNHCR में विदेशी मामलों की निदेशक डोमिनीक़ हाइड का कहना है कि बिना किसी चेतावनी के भड़के उस युद्ध ने, अतीत में शान्तिपूर्ण रहे घरों को, क़ब्रिस्तानों यानि शमशानों में तब्दील कर दिया है.

उन्होंने गत सप्ताह सूडान का दौरा किया और मानव तकलीफ़ों में भारी वृद्धि देखी.

डोमिनीक़ हाइड ने कहा, “सूडान युद्ध, दुनिया की आँखों व समाचार सुर्ख़ियों से छुपते हुए, लगातार बढ़ता रहा है. देश भर में, एक अकल्पनीय मानवीय संकट उजागर हो रहा है, और इस निरन्तर जारी युद्ध के कारण, लगातार अधिक लोग विस्थापित हो रहे हैं.”

अप्रैल 2023 में युद्ध भड़कने के बाद से, सूडान के भीतर ही लगभग 45 लाख लोग विस्थापित हो गए हैं, जबकि 12 लाख अतिरिक्त लोगों को, पड़ोसी देशों में पनाह लेनी पड़ी है, जिनमें अधिकतर महिलाएँ व लड़कियाँ हैं.

दारफ़ूर में अत्याचार जारी

यूएन शरणार्थी एजेंसी की अधिकारी ने विस्फोटक दारफ़ूर क्षेत्र की स्थिति को रेखांकित किया, जहाँ सूडानी सशस्त्र सेनाओं (SAF) और त्वरित समर्थन बलों (RSF) के दरम्यान युद्ध ने और भी अधिक संख्या में लोगों को विस्थापित किया है. वहाँ हज़ारों लोगों को, अपने लिए आश्रय तलाश करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, और बहुत से लोग तो सड़कों के किनारे पेड़ों के नीचे सोने को विवश हैं.

डेमिनीक़ हाइड ने कहा, “हम उन लोगों की स्थिति के बारे में बहुत चिन्तित हैं क्योंकि उन्हें भोजन, आश्रय, पीने का स्वच्छ पानी और अन्य बुनियादी चीज़ें नहीं मिल पा रही हैं.”

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने, जुलाई 2023 में, दारफ़ूर क्षेत्र में कथित युद्धापराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोपों की जाँच शुरू की थी. ये जाँच जातीय मसालित समुदाय के 87 सदस्यों की सामूहिक क़ब्रों का पता लगने के बाद शुरू की गई थी, जिनकी कथित हत्याएँ किए जाने के आरोप, RSF और उससे सम्बद्ध लड़ाकों पर लगे थे.

डोमिनीक़ हाइड ने बताया कि विस्थापन में बढ़ोत्तरी से, शरणार्थी शिविरों में बुनियादी सेवाओं पर भारी बोझ पड़ रहा है, देश भर में पिछले सात महीनों से स्कूल बन्द करने पड़े हैं क्योंकि वहाँ लोगों ने अस्थाई शरण ले रखी है.

स्वास्थ्य स्थिति भी, विशेष रूप से चिन्ताजनक है. 

चाड को विस्थापन

सूडान में युद्ध ने, बहुत से लोगों को, पड़ोसी देशों में पनाह लेने के लिए मजबूर कर दिया है, जिनमें चाड भी शामिल है, जहाँ अप्रैल के बाद से, लगभग साढ़े चार लाख सूडानियों ने शरण ली है.

चाड, अत्यन्त निर्धन देशों में से एक है और वहाँ गम्भीर मानवीय चुनौतियाँ भी दरपेश हैं, इसके बावजूद, वहाँ लगभग दस लाख लोग शरणार्थी हैं.

मानवीय सहायता एजेंसियों ने वर्ष 2023 के आरम्भ में, 92.1 करोड़ डॉलर की रक़म जुटाने की अपील जारी की थी, जिसके ज़रिए, सहायता के ज़रूरतमन्द लगभग 52 लाख लोगों की मदद करने का लक्ष्य है. मगर अभी तक इस अपील के जवाब में केवल 26 प्रतिशत धनराशि ही हासिल हुई है.

‘शान्ति फैलाएँ, युद्ध नहीं’

संयुक्त राष्ट्र की प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी – UNFPA की कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम ने, अपनी हाल की चाड यात्रा के बारे में, मंगलवार को यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि चाड यात्रा के दौरान उन्होंने महिला नेत्रियों और यौन व लिंग आदारित हिंसा की पीड़ितों और उनकी मदद करने वालों से मुलाक़ात की.

उन्होंने चाड के एक न्यायसंगत, शान्तिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की ख़ातिर, महिलाओं, लड़कियों और उनके सहयोगियों को मज़बूत किए जाने की महत्ता को भी दोहराया.

नतालिया कानेम ने कहा, “और मानव इतिहास के इस नाज़ुक लम्हे में, ये स्पष्ट है कि मानवता का भाग्य, ऐसे पुरुषों के हाथों में बन्द नहीं रह सकता, जो बम बरसा रहे हैं, बल्कि ये उन महिलाओं और उनके सहयोगियों के हाथों में है जो मज़बूत होकर शान्ति का विस्तार कर रहे हैं.”

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