प्रधानमंत्री ओली ने मानवता पर मंडरा रहे जलवायु विनाश, फिर से उभर रही भूराजनैतिक प्रतिद्वंद्विताओं और सैन्य ख़र्चों में आ रहे उछाल से उपजे ख़तरों के प्रति आगाह किया.
“आम नागरिक व ग्रह, दोनों ही जलवायु विनाश के कगार पर हैं.” उन्होंने बताया कि नेपाल, विश्व में आपदाओं की दृष्टि से सर्वाधिक सम्वेदनशील देशों में हैं.
उन्होंने कहा कि जलवायु वार्ताओं में पर्वतीय एजेंडा को सर्वोपरि रखना होगा, जोकि जलवायु स्थिरता को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं. इस क्रम में, उन्होंने बताया कि नेपाल वर्ष 2045 तक नैट शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने धनी व निर्धन देशों के बीच पसरी विषमताओं का भी उल्लेख किया, और विकसित देशों तक ही धन सम्पदा केन्द्रित रह जाने की आलोचना की. वहीं, उनके अनुसार, सबसे कम विकसित देश अब भी निर्धनता, अभाव व निराश्रयता की गर्त में धँसे हैं, जिनमें नेपाल भी हैं.
प्रधानमंत्री ओली ने इन विषमताओं से उबरने के लिए मज़बूत नेतृत्व व अर्थपूर्ण सहयोग की अपील की है. इस वर्ष, महासभा के 79वें सत्र में जनरल डिबेट की थीम, किसी को भी पीछे ना छूटने देने पर आधारित है, और इसे दोहराते हुए उन्होंने कहा कि शान्ति, टिकाऊ विकास व मानव गरिमा के लिए एक साथ मिलकर काम करना होगा.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि नेपाल ने लम्बे समय से समावेशिया के सिद्धान्त को सर्वोपरि रखा है, जोकि उसके संविधान में निहित है. इसमें मानवाधिकारों, आनुपातिक प्रतिनिधित्व और निर्बल समुदायों के लिए सामाजिक संरक्षण का ध्यान रखा गया है.
महासभा के मंच से, नेपाल के नेता ने शान्ति व ग़ैर-हस्तक्षेप के प्रति अपने संकल्प को पुष्ट किया, जोकि सम्प्रभु समानता व आपसी सम्मान के सिद्धान्तों पर टिका है.
उन्होंने कहा कि नेपाल ने हिंसक टकराव से उभरने के बाद शान्ति प्रक्रिया में ठोस प्रगति की है, और वर्ष 2006 में व्यापक शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.
प्रधानमंत्री ओली ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षा मिशन में नेपाल, बड़ा योगदान देने वाले देशों में है. उन्होंने संगठन में नेतृत्व पदों पर अधिक प्रतिनिधित्व दिए जाने की अपील की है ताकि उसके योगदान को परिलक्षित किया जा सके.
विश्व के समक्ष मौजूदा चुनौतियों के मद्देनज़र, उन्होंने ये हम पर दूसरे ग्रह के वासियों ने नहीं थोपी हैं, और इनके लिए हम ही ज़िम्मेदार हैं. मगर आपसी समझ, भरोसे व सहयोग से इन पर पार पाया जा सकता है.
प्रधानमंत्री ओली ने अपनी समापन टिप्पणी में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन का उल्लेख किया, जिसका उल्लेख महाउपनिषद में किया गया है – ये विश्वास कि सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है.
उन्होंने कहा कि इस संकल्प के साथ, नेपाल शान्ति, प्रगति व समृद्धि की साझा आकाँक्षा में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है और किसी को भी पीछे नहीं छूटने दिया जाए.