चीन के विदेश मंत्री ने यूएन महासभा के 79वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट में कहा कि उनके देश ने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, ब्राज़ील और वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों के साथ मिलकर, शान्ति के लिए मित्रों का एक समूह शुरू किया है.
उन्होंने कहा कि इस समूह का मुख्य उद्देश्य, यूएन चार्टर के सिद्धान्तों और उद्देश्यों को बरक़रार रखना, संकटों के एक राजनैतिक समाधान के लिए सहमति बनाना और शान्ति की सम्भावनाओं के लिए योगदान करना है.
चीन के विदेश मंत्री ने ध्यान दिलाया कि फ़लस्तीन का सवाल, मानव अन्तरात्मा के लिए “सबसे बड़ा ज़ख़्म” है.
वांग यी ने कहा कि ग़ाज़ा में जारी युद्ध, हर दिन ज़िन्दगियों को हताहत कर रहा है, इस सबके बावजूद, लेबनान में भी युद्ध शुरू हो गया है.
“मगर ताक़त, न्याय की जगह नहीं ले सकती. एक स्वतंत्र देश की स्थापना की फ़लस्तीन की आकांक्षाओं को अब और आगे, हवा में नहीं उड़ा दिया जा सकता, और फ़लस्तीनी लोगों को जो ऐतिहासिक अन्याय झेलने पड़े हैं, उनकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.”
चीन के विदेश मंत्री अफ़्रीकी देशों और कछ कम विकसित देशों के साथ चीन की साझेदारी की तरफ़ ध्यान दिलाया और प्रतिबन्धों व नाकेबन्दियों के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं जैसे इकतरफ़ा दमनात्मक उपायों का विरोध भी जताया.
उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका से, क्यूबा के ख़िलाफ़ लगाए गए प्रतिबन्धों, नाकाबन्दी को हटाने और आतंकवाद सम्बन्धी परिभाषाओं को हटाने का भी आहवान किया.
हरित मार्ग, जलवायु मुद्दे
वांग यी ने, हरित, कम कार्बन और टिकाऊ विकास के लिए, देश की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया.
उन्होंने कहा, “हम इतिहास में सबसे कम समय में, कार्बन तटस्थता का मुक़ाम हासिल करेंगे और वैश्विक स्तर पर मानवता व प्रकृति के समरस सह अस्तित्व के प्रयासों में योगदान करेंगे.”
वांग यी ने ज़ोर देते हुए कहा कि साझा मगर विविध ज़िम्मेदारियों के सिद्धान्त को क़ायम रखा जाना होगा और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को जल्द से जल्द लागू किया जाना होगा.
विकासशील देशों को, जलवायु परिवर्तन का सामना करने में, विकासशील देशों की क्षमता विकसित करने में, उनकी मदद करनी होगी.
विदेश मंत्री ने, संयुक्त राष्ट्र में सुधार और उसका आधुनिकीकरण किए जाने के साथ-साथ अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को मौजूदा दौर के लिए सटीक बनाने में चीन के समर्थन को भी रेखांकित किया.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से विकासशील देशों की “जायज़ पुकारों को सुने जाने” और वैश्विक दक्षिण के प्रतिनिधित्व और आवाज़ों को बढ़ाने का भी आग्रह किया.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि अगले वर्ष, द्वितीय विश्व युद्ध समाप्ति और संयुक्त राष्ट्र स्थापना की 80वीं वर्षगाँठ होगी.
“चीन, संयुक्त राष्ट्र के संस्थापना उद्देश्यों और मिशन में फिर से जान फूँकने के लिए, देशों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है, इनमें यूएन चार्टर के लिए प्रतिबद्धता को दोहराना, एक वास्तविक बहुपक्षवाद की हिमायत करना और उस पर अमल करना, पूर्ण मानवता के एक साझा भविष्य वाले समुदाय का निर्माण करना, और एक बेहतर दुनिया में साथ मिलकर आगे बढ़ना शामिल हैं.”