राष्ट्रपति मैक्राँ ने बुधवार को यूएन महासभा की जनरल डिबेट में शिरकत करते हुए, हाल ही में पेरिस में सम्पन्न हुए ग्रीष्मकालीन ओलिम्पिक और पैरालिम्पिक खेलों में नज़र आए, वैश्विक उत्साह को याद किया. मगर उन्होंने खेद भी व्यक्त किया कि इस तरह के शानदार जश्न के बावजूद, ओलिम्पिक सन्ध को “एक मृत अक्षर” समझ लिया गया है.
उन्होंने एकजुट होने और साझा समाधान तलाश करने में नाकामी के लिए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की नाकामी को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “हर दिन, मानवता और भी भंगुर होती नज़र आ रही है.”
राष्ट्रपति मैक्राँ ने कहा कि शब्दों में निहित शक्ति व आशा को बहाल करने के लिए, देशों के दरम्यान विश्वास बहाल किए जाने का आहवान किया. साथ ही आम लोगों के संरक्षण को एक अनिवार्यता बनाने के लिए गम्भीर प्रयास किए जाने की भी पुकार लगाई. “ये (लक्ष्य) सदैव पथप्रदर्शक रहना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “हमें इस विचार को तो एक लम्हे के लिए भी अपने दिमाग़ों में नहीं आने देना चाहिए” कि कुछ लोगों की पीड़ाओं पर, कुछ अन्य लोगों की तुलना में अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए, चाहें वो यूक्रेन हो, ग़ाज़ा या सूडान. “हमें उन सभी पर समान ध्यान देना होगा, जो तकलीफ़ों का सामना कर रहे हैं.”
फ़्रांसीसी राष्ट्रपति ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि मौजूद0 युद्ध, यूएन चार्टर लागू करने में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की सामर्थ्य पर ही सवाल खड़े करते हैं.
उन्होंने कहा कि रूस अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के सर्वाधिक बुनियादी सिद्धान्तों की अवहेलना करते हुए, यूक्रेन में इलाक़े की जीत हासिल करने के लिए युद्ध कर रहा है.
युद्धविराम की सख़्त ज़रूरत
राष्ट्रपति मैक्राँ ने मध्य पूर्व का ज़िक्र करते हुए स्वीकार किया कि इसराइल को अपने लोगों की सुरक्षा करने और हमास को उस पर फिर से हमले करने से रोकने का वैध अधिकार है. मगर ग़ाज़ा में युद्ध “बहुत दूर निकल गया है (और) भारी संख्या में निर्दोष लोग मारे गए हैं.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि युद्धविराम जल्द से जल्द लागू किया जाए, बन्धकों को रिहा किया जाए, और ग़ाज़ा में विशाल पैमाने पर मानवीय सहायता पहुँचाई जाए.
राषट्रपति मैक्राँ ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को इसराइल-फ़लस्तीन संकट को सुलझाने के लिए, दो राष्ट्रों की स्थापना वाले समाधान के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी, मगर तत्काल जोखिम पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में युद्ध फैल जाने का है.
उन्होंने कहा, “हम इसराइल से लेबनान में हमले रोकने, और हिज़बुल्लाह से इसराइल की तरफ़ मिसाइल हमले रोकने का आग्रह करते हैं… लेबनान में युद्ध नहीं हो सकता और होना ही नहीं चाहिए.”
फ़्रांसीसी राष्ट्रपति ने सुरक्षा परिषद की संरचना में विस्तार किए जाने की हिमायत की. उनकी नज़र में जर्मनी, जापान, भारत और ब्राज़ील को स्थाई सदस्य का दर्जा मिलना चाहिए. साथ ही अफ़्रीका को भी अपने यहाँ से दो देशों को भेजने का अधिकार हो.
हालाँकि उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि केवल यह सुधार, सुरक्षा परिषद की प्रभावशीलता बहाल करने के लिए पर्याप्त नहीं है. उन्होंने सुरक्षा परिषद की कार्य प्रणाली के तरीक़ों में सुधार किए जाने, व्यापक अपराधों के मामलों में वीटो के अधिकार को सीमित करने, और शान्ति क़ायम रखने के लिए, अधिक कार्यात्मक निर्णयों पर अधिक ध्यान दिए जाने का भी आहवान किया.