शिक्षा

UNESCO: 25 करोड़ बच्चे हैं, स्कूली शिक्षा से वंचित

यूएन एजेंसी के आँकड़ों से मालूम होता है कि स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या में ये बढ़ोत्तरी, मुख्य रूप से अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखने जाने के कारण हुई है. मगर इस बढ़ोत्तरी में दुनिया भर में शिक्षा की उपलब्धता में आए व्यापक ठहराव का भी ख़ासा हाथ है.

इन आँकड़ों से टिकाऊ विकास लक्ष्य संख्या-4 कमज़ोर होता है, जिसमें वर्ष 2030 तक, सर्वजन को गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.

मार्ग से भटकी प्रगति

यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, अगर देश एसडीजी-4 की प्राप्ति में, अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ प्रगति में सही रास्ते पर होते, तो 60 लाख अधिक बच्चे प्राथमिक स्कूल से पहले की शिक्षा हासिल कर रहे होते. 

उनके अलावा क़रीब 5 करोड़ 80 लाख अधिक बच्चे व किशोर भी, स्कूली शिक्षा हासिल कर रहे होते. साथ ही प्राइमरी स्कूलों के लिए लगभग 17 लाख और अधिक अध्यापक प्रशिक्षित हो चुके होते.

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले का कहना है, “शिक्षा, आपदा में है. अलबत्ता, सर्वजन के लिए गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए, गत दशक में समुचित प्रयास किए गए, मगर यूनेस्को के आँकड़े दर्शाते हैं कि स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या, इस समय बढ़ रही है.”

भविष्य ‘आपके हाथों में’

एक वर्ष पहले, 141 देशों ने, यूएन शिक्षा रूपान्तर सम्मेलन में, एसडीजी-4 प्राप्ति की दिशा में प्रगति को तेज़ करने का संकल्प लिया था.

यूनेस्को महानिदेशक का कहना है, “ये संकल्प अब कार्रवाइयों के रूप में नज़र आने चाहिए. अब खोने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं बचा है…”

उन्होंने सदस्य देशों की तरफ़ ज़ोरदार इशारा करते हुए कहा, “लाखों बच्चों का भविष्य, आपके हाथों में है.”

अपर्याप्त प्रगति

रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि वर्ष 2015 के बाद से, प्राइमरी शिक्षा पूरी करने वाले बच्चों की संख्या में, तीन प्रतिशत से भी कम बढ़ोत्तरी हुई है.

इस बीच माध्यमिक शिक्षा पूरी करने वाले बच्चों की संख्या में, लगभग 5 प्रतिशत बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

कार्रवाई के लिए शिक्षा 2030 फ़्रेमवर्क, देशों से एसडीजी-4 के संकेतकों के लिए, एक मानक स्थापित करने की पुकार लगाता है.

यूनेस्को, अनेक देशों में समुदाय आधारित साक्षरता कक्षाओं में मदद करता है.

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