विश्व धरोहर समिति पर दुनिया भर के धरोहर स्थलों के प्रबंधन से जुड़े मसलों की ज़िम्मेदारी होती है और हर वर्ष इसकी बैठक में, विश्व विरासत सूची में शामिल किए जाने वाले नए स्थलों के बारे में फ़ैसले लिए जाते हैं.
इस साल की बैठक में, विश्व धरोहर सूची में नए स्थलों को नामांकित करने, 124 मौजूदा विश्व धरोहर सम्पत्तियों की संरक्षण स्थिति रिपोर्ट, अन्तरराष्ट्रीय सहायता एवं विश्व धरोहर निधि के उपयोग आदि के प्रस्तावों पर चर्चा हो रही है.
बैठक में 150 से अधिक देशों के 2 हज़ार से अधिक अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
विश्व भलाई में धरोहर की भूमिका
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक का उदघाटन करते हुए कहा, “धरोहर केवल इतिहास भर नहीं है, बल्कि मानवता की साझा अन्तरात्मा है. जब भी हम ऐतिहासिक स्थलों को देखते हैं, तो हमारा ध्यान वर्तमान भू-राजनैतिक मुद्दों से ऊपर उठता है.”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से धरोहर की इसी क्षमता का उपयोग करके, विश्व कल्याण में मदद करने का आग्रह किया, जो उनके दिलों को आपस में जोड़ सके.
उन्होंने कहा, “दुनिया से भारत का यही आहवान है कि सर्वजन, एक-दूसरे की धरोहर को बढ़ावा देने और मानव कल्याण की भावना को बढ़ाने, पर्यटन को प्रोत्साहित करने तथा 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक के ज़रिए, रोज़गार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए एकजुट हों.”
प्रधानमंत्री ने वैश्विक कल्याण में भारत की भागेदारी पर ज़ोर देते हुए, भारत की वैज्ञानिक धरोहर, योग एवं आयुर्वेद के वैश्विक महत्व का उल्लेख किया.
उन्होंने भारत द्वारा आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की थीम – ‘एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य’ का उदाहरण देते हुए, भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दृष्टिकोण के तहत, बाजरे के प्रचार व अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबंधन एवं मिशन LiFE जैसी पहलों की मिसाल पेश की.
वैश्विक सहयोग पर बल
भारतीय प्रधानमंत्री ने, यूनेस्को विश्व धरोहर केन्द्र में क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता एवं विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण के लिए 10 लाख डॉलर का योगदान करने की भी घोषणा की.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोहराया कि भारत वैश्विक धरोहर के संरक्षण को अपनी ज़िम्मेदारी मानता है. “इसीलिए हम भारतीय धरोहर के साथ-साथ, वैश्विक दक्षिण के देशों में विरासत संरक्षण के लिए भी सहयोग कर रहे हैं.”
भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को धरोहर संरक्षण प्रयासों में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा कि यह धनराशि वैश्विक दक्षिण के देशों में धरोहर सहेजने के कार्यों में अहम भूमिका निभाएगी.
युवजन की भागेदारी
विश्व धरोहर समिति की बैठक के साथ-साथ, विश्व धरोहर सम्बन्धी युवजन पेशेवर मंच और विश्व धरोहर स्थल प्रबंधक मंच भी आयोजित किए जा रहे हैं.
इस अवसर पर यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने कहा, “चूँकि हमारे ऊपर विश्व धरोहर की रक्षा की ज़िम्मेदारी है, इसलिए हमारे सामने ज़बरदस्त चुनौतियाँ भी हैं.
उन्होंने कहा, “डिजिटल क्रान्ति एवं जलवायु व्यवधान के कारण दुनिया हर क्षेत्र में अनगिनत बदलावों से गुज़र रही है, लेकिन इस बदलती दुनिया में विरासत को सहारा बनाने का हमारा संकल्प भी उतना ही विशाल है.”
“और यह संकल्प उन युवजन तक भी पहुँचाया जा रहा है जो इस सप्ताह उत्तर प्रदेश में होने वाले ‘वर्ल्ड हेरिटेज यंग प्रोफ़ेशनल्स फ़ोरम’ के लिए 31 देशों से आए हैं.”
सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन
इसके अलावा, बैठक स्थली पर भारत की संस्कृति के प्रदर्शन हेतु, विभिन्न प्रदर्शनियाँ भी लगाई गई हैं.
‘रिटर्न ऑफ़ ट्रैज़र्स’ प्रदर्शनी में, देश में वापस लाई गई कुछ कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेशों से लौटी कलाकृतियों का ज़िक्र करते हुए बताया कि हाल ही में 350 से अधिक धरोहर वस्तुओं को वापस लाया गया है.
उन्होंने कहा, “प्राचीन विरासत कलाकृतियों की वापसी, वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान का प्रदर्शन है.”
भारत के 3 विश्व धरोहर स्थलों के लिए एक व्यापक अनुभव प्रदान करने के लिए AR & VR प्रौद्योगिकियों का भी उपयोग किया जा रहा है.
सूचना प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में आधुनिक विकास के साथ-साथ, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, सदियों पुरानी सभ्यता, भौगोलिक विविधता और पर्यटन स्थलों को उजागर करने के लिए एक ‘अतुल्य भारत’ प्रदर्शनी भी लगाई गई है.
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने कहा, “अपने समृद्ध अतीत के आधार पर भारत, विरासत संरक्षण को अन्तरराष्ट्रीय एजेंडे में सबसे आगे लेकर आया है.”
उन्होंने कहा कि पिछले साल जब भारत ने जी20 की अध्यक्षता सम्भाली थी, तो नेताओं ने पहली बार 2030 के बाद के सतत विकास एजेंडे में संस्कृति को केन्द्र में रखने का आहवान किया था.
“इस तरह, भारत ने संस्कृति को एक वैश्विक सार्वजनिक वस्तु के रूप में मान्यता दिलाने में मदद की है – उम्मीद है कि इसे इस सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए जाने वाले भविष्य के समझौते में जगह मिलेगी.”