सीतलवाड़ और उनके पति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता अपर्णा भट ने कहा कि सीबीआई के अपील करने से जुड़ी एक कार्यवाही में अग्रिम जमानत दी गई थी। इसके बाद आरोपपत्र दाखिल किया गया था और सीतलवाड़ को नियमित जमानत दी गई थी। उन्होंने कहा कि चूंकि एक नियमित जमानत दी गई है, ऐसे में अग्रिम जमानत के खिलाफ जांच एजेंसी की अपील का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
नायर ने कहा कि यह एक मामले में हुआ था, लेकिन सीतलवाड़ के खिलाफ एक से अधिक मामले हैं और अतिरिक्त सामग्री प्रस्तुत करने के लिए अदालत से चार हफ्तों का वक्त मांगा गया है। नायर ने कहा, ‘दो जजों की एक पीठ ने इस विषय को एक वृहद पीठ में भेज दिया है और सवाल तैयार किए हैं, जिन पर इस अदालत को निर्णय करने की जरूरत है।’ पीठ ने विषय की सुनवाई चार हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी।
शीर्ष न्यायालय सीतलवाड़, आनंद, गुजरात पुलिस और सीबीआई द्वारा दायर याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रहा है। ये याचिकाएं दंपती के खिलाफ दर्ज तीन FIR के संबंध में दायर की गई हैं।
