उद्योग/व्यापार

Tata Motors की बड़ी रणनीति, डिमर्जर के बाद पैसेंजर व्हीकल बिजनेस में हो सकता है EV Subsidiary का विलय

टाटा मोटर्स अपनी कमर्शियल व्हीकल (CV) और पैसेंजर व्हीकल (PV) बिजनेस को अलग करने जा रही है। साथ ही, कंपनी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बिजनेस को पैसेंजर व्हीकल यूनिट में मिलाने पर विचार कर रही है। बता दें कि 4 मार्च को टाटा मोटर्स ने अपने बिजनेस को दो अलग-अलग कंपनियों में विभाजित करने की घोषणा की थी। एक कंपनी कमर्शियल व्हीकल बिजनेस और उससे जुड़े निवेश को संभालेगी, वहीं दूसरी कंपनी में पैसेंजर व्हीकल बिजनेस, EV यूनिट, जगुआर लैंड रोवर (JLR) और उससे जुड़े निवेश शामिल होंगे।

विलय का प्रस्ताव

सूत्रों के मुताबिक, इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी, टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड के PV बिजनेस (टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड) में विलय का प्रस्ताव मौजूदा निवेशकों, जैसे TPG और भविष्य के निवेशकों के लिए लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि चूंकि टाटा मोटर्स भविष्य में अपने पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक बनाने का प्लान बना रही है, इसलिए अलग EV यूनिट बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।

इलेक्ट्रिक व्हीकल

अक्टूबर 2021 में, टाटा मोटर्स ने घोषणा की थी कि TPG राइज और उसके सह-निवेशक ADQ इलेक्ट्रिक व्हीकल सहायक कंपनी में 7,500 करोड़ रुपये (लगभग $1 बिलियन) का निवेश $9.1 बिलियन के वैल्यूएशन पर 11-15 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए करेंगे। जनवरी 2023 में टाटा मोटर्स को दोनों निवेशकों से 3,750 करोड़ रुपये की दूसरी और अंतिम किस्त प्राप्त हुई।

डीमर्जर प्लान

कार निर्माता कंपनी ने 4 मार्च को डीमर्जर प्लान की घोषणा करते हुए कहा था कि यह विलय 2022 में पहले किए गए पैसेंजर व्हीकल और कमर्शियल व्हीकल बिजनेस के असिस्टेंटशिप का एक लॉजिकल परिणाम है और इससे संबंधित बिजनेस को अपनी-अपनी रणनीतियों को आगे बढ़ाने और जल्दी से अधिक विकास हासिल करने के लिए सशक्त बनाया जाएगा।

शेयरहोल्डिंग

हाल के वर्षों में, टाटा मोटर्स के इलेक्ट्रिक व्हीकल, पैसेंजर व्हीकल (PV+EV) और जगुआर लैंड रोवर (JLR) बिजनेस ने अलग-अलग विकास रणनीतियों को लागू किया है और 2021 से ये बिजनेस अपने-अपने सीईओ के अधीन स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं। डीमर्जर प्लान को NCLT स्कीम ऑफ अरेंजमेंट के जरिए लागू किया जाएगा और टाटा मोटर्स के सभी शेयरधारकों की दोनों लिस्टेड संस्थाओं में समान शेयरहोल्डिंग बनी रहेगी। विलय को पूरा करने में रेगुलेटरी अप्रूवल में 12-15 महीने लग सकते हैं।

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