भारत के छत्तीसगढ़ प्रदेश के मसुलपानी गाँव की गोंड जनजाति की सदस्य, फुलवासन कुदुपी, हर दिन अपने समुदाय के साथ जंगल जाती हैं. ...
संयुक्त राष्ट्र के अन्तरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD) की एक नई परियोजना के तहत, मैक्सिको जैसे देशों में 53 आदिवासी समुदायों के साथ...
जानने योग्य पाँच बातें: 1. ‘स्वैच्छिक अलगाव और प्रारम्भिक सम्पर्क’ का क्या अर्थ है? इस वर्ष के अन्तरराष्ट्रीय दिवस का ध्यान, लगभग 200 आदिवासी समूहों पर है, जो वर्तमान में स्वैच्छिक अलगाव और प्रारम्भि सम्पर्क में रह रहे हैं. ये लोग, बाक़ी दुनिया से अलगाव में, अपनी जीविका जुटाकर और शिकार करके जीवित रहते हैं. ये समूह, बोलीविया, ब्राज़ील, कोलम्बिया, एक्वाडोर, भारत, इंडोनेशिया, पपुआ न्यू गिनी, पेरू और वेनेज़ुएला के दूरदराज़ स्थित प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध जंगलों में रहते हैं. 2. कोई समूह स्वैच्छिक रूप से अलग रहना क्यों चुनता है? ये आदिवासी समूह, जानबूझकर मुख्यधारा के समाज से दूर रहते हैं. प्रत्येक समुदाय के अपने कारण होते हैं, जिनमें से कुछ अपनी स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए ऐसा करते हैं. कुछ समुदाय अपनी संस्कृतियों और भाषाओं की रक्षा के लिए भी स्वैच्छिक रूप से अलग रहते हैं. 3. क्या ख़तरे हैं? बाहरी सम्पर्क से अलग-थलग रहने वाले आदिवासी लोगों के लिए सबसे गम्भीर ख़तरों में से एक बीमारियों के सम्पर्क में आना है....
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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के आदिवासी और दलित 50 की उम्र के होते ही पेंशन...
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