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Shaurya Path: Israel-Hamas, Russia-Ukraine, Pannun, Nepalese in Russian Army और China से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से बातचीत

Shaurya Path: Israel-Hamas, Russia-Ukraine, Pannun, Nepalese in Russian Army और China से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से बातचीत

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह इजराइल-हमास युद्ध के ताजा हालात, रूस-यूक्रेन युद्ध, खालिस्तानी आतंकी पन्नू की धमकियों, नेपाल और रूस से जुड़े मुद्दे तथा चीन की हरकतों से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-

प्रश्न-1. इजराइल-हमास के बीच युद्ध में ताजा हालात क्या हैं? क्या एक और संघर्षविराम हो पाना संभव है?

उत्तर- मिस्र ने युद्धविराम की दिशा में प्रयास जारी रखे हैं लेकिन जिस तरह से अन्य सभी देश खामोश हो गये हैं वह दर्शा रहा है कि एक और संघर्षविराम संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिस तरह से हमास आतंकवादियों की ओर से इजराइली महिलाओं के साथ क्रूरता किये जाने की बात सामने आई है उसने इजराइली सेना का खून खौला दिया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने साथ ही कहा कि इजराइल-हमास मामले में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं इसलिए आक्रोशित इजराइल ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस का कार्यकाल विश्व शांति के लिए खतरा है। दरअसल गुतारेस ने गाजा में आसन्न मानवीय तबाही के बारे में सुरक्षा परिषद को चेतावनी देने के लिए विशेष शक्ति का इस्तेमाल किया और परिषद से तत्काल मानवीय आधार पर युद्धविराम की मांग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों को लिखे एक पत्र में गुतारेस ने कहा कि दो महीने के युद्ध के बाद गाजा की मानवीय प्रणाली ढहने का खतरा है, जिसने भयानक मानवीय पीड़ा, विनाश और सामूहिक आघात पैदा किया है। उन्होंने बताया कि नागरिकों को नुकसान से बचाए जाने का उल्लेख करते हुए गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 99 का उपयोग किया, जिसमें कहा गया है कि महासचिव यूएनएससी को उन मामलों के बारे में सूचित कर सकते हैं जो उन्हें लगता है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अपने पत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह इस संकट को और बढ़ने से रोकने और खत्म करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे। इसके बाद इजराइल ने कहा कि गुतारेस का यह कदम हमास आतंकवादी समूह के समर्थन और सात अक्टूबर को इजराइल में उसके द्वारा किए गए कायरतापूर्ण कृत्यों का समर्थन करने जैसा है। उन्होंने कहा कि इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि गुतारेस का कार्यकाल विश्व शांति के लिए खतरा है। उन्होंने बताया कि कोहेन ने लिखा है कि अनुच्छेद 99 को लागू करने का गुतारेस का अनुरोध और गाजा में संघर्ष विराम का आह्वान हमास आतंकवादी संगठन का समर्थन और बुजुर्गों की हत्या, बच्चों के अपहरण और महिलाओं के बलात्कार का समर्थन है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि गुतारेस ने 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बनने के बाद चार्टर के अनुच्छेद 99 को लागू किया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक वर्तमान हालात की बात है तो युद्धविराम समाप्त होने के बाद इजराइली सेना गली गली में हमास आतंकवादियों को ढूँढ़ ढूँढ़ कर मार रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह गाजा में सीवरों आदि में भी आतंकी छिपे हैं उससे निबटने के लिए भी इजराइली बलों ने विशेष रणनीति बनाई है। उन्होंने कहा कि आज जिनको गाजा में हो रहे हमले देखकर दर्द हो रहा है यदि वह इजराइली महिलाओं के साथ हमास आतंकियों द्वारा किये गये क्रूर अत्याचार के बारे में जान लेंगे तो उनका भी खून खौल उठेगा। उन्होंने कहा कि हमास आतंकी गाजा के लोगों के भी हितैषी नहीं हैं क्योंकि इजराइल ने कहा है कि मानवीय आधार पर सुरक्षित करार दिये गये क्षेत्रों से रॉकेट हमले किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि इजराइल ने उन सुरक्षित करार दिये गये क्षेत्रों पर भी बमबारी या हमला किया तो और बड़ी मानवीय तबाही हो सकती है। 

प्रश्न-2. रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? हमने यह भी जानना चाहा कि क्या अब यूक्रेन को अमेरिका से मदद मिलना मुश्किल होता जायेगा? हमने यह भी जानना चाहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस समय चल रही विदेश यात्राओं का उद्देश्य क्या है? 

उत्तर- इस युद्ध ने हाल के दिनों में कुछ रफ्तार पकड़ी है। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ऐलान कर चुके हैं कि वह मार्च 2024 में एक बार फिर से राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वैसे तो रूस में चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं पर फिर भी पुतिन का यह प्रयास है कि वह अपनी जनता को यह दिखाएं कि उनके नेतृत्व में रूसी सेना यूक्रेन और उसके मददगार नाटो तथा पश्चिमी देशों पर भारी पड़ रही है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एक बात स्पष्ट तौर पर दिख रही है कि यूक्रेन पर रूस की बढ़त बढ़ती जा रही है और जिस तरह यूक्रेन सरकार अब पूरी तरह विदेशी मदद पर निर्भर होती जा रही है वह उस देश के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि आखिर कोई भी कब तक और कितनी मदद करता रह सकता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के मददगार देशों की जनता अपनी सरकारों से सवाल पूछ रही है कि हमारे बजट में कटौती कर और हम पर नये टैक्स लाद कर यूक्रेन को कब तक मदद दी जाती रहेगी। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष में कई देशों में चुनाव होने हैं और जनता की नाराजगी देखकर जल्द ही कई देशों का रुख बदलने वाला है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस बीच, यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता का भाग्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि अमेरिकी सीनेट में रिपब्लिकनों ने यूक्रेन और इजराइल के लिए अरबों डॉलर की मदद और मैक्सिकन सीमा पर घरेलू सुरक्षा उपायों के लिए एक आपातकालीन व्यय बिल को अवरुद्ध कर दिया है। उन्होंने कहा कि रिपब्लिकन यूक्रेन के लिए अमेरिकी फंडिंग को रोकना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने यूक्रेन को मदद दिये जाने का भरोसा दिलाया है लेकिन लग रहा है कि वह सहायता राशि में कुछ कटौती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की यह हालत देख पुतिन को अब अपनी जीत बेहद करीब लग रही है। उन्होंने कहा कि पुतिन को पहले से भरोसा था कि यूक्रेन पर पश्चिमी और नाटो देशों की ओर से होने वाली डॉलरों की बरसात एक ना एक दिन बंद होगी ही।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक रूसी राष्ट्रपति की बात है तो उन्होंने यूक्रेन युद्ध के बीच कुछ समय पहले चीन का दौरा किया था और अब उन्होंने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से मदद की उम्मीद में यह यात्रा की। उन्होंने कहा कि यह दोनों देश अमेरिका के प्रमुख सहयोगी देश हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े तेल उत्पादक देश होने के चलते इनका दुनिया पर प्रभाव भी है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद पुतिन की इस क्षेत्र की यह पहली यात्रा थी। उन्होंने कहा कि पुतिन इन देशों की यात्रा पर इसलिए भी गये क्योंकि यहां उन्हें अपने खिलाफ जारी अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के वारंट के चलते गिरफ्तारी का कोई खतरा नहीं था। उन्होंने कहा कि इन देशों ने आईसीसी की स्थापना संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं इसलिए पुतिन यहां बेधड़क पहुँच गये थे। उन्होंने कहा कि यहां पर पुतिन का जिस तरीके से स्वागत हुआ उससे लगा नहीं कि वहां उनके खिलाफ किसी प्रकार का माहौल है।

प्रश्न-3. खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिका में बैठ कर भारत को धमकियां दे रहा है। आखिर ऐसे तत्वों का इलाज क्या है?

उत्तर- गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे लोगों का इलाज कानून के रास्ते ही निकलेगा लेकिन कानून यह भी कहता है कि किसी भी प्रकार का दोगलापन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज बड़ी-बड़ी बातें कर रहे अमेरिका को यह देखना चाहिए कि यदि पन्नू भारत में बैठ कर अमेरिकी संसद को उड़ाने की बात कर रहा होता तब वाशिंगटन की प्रतिक्रिया क्या होती? उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपनी संप्रभुता, अखंडता, संविधान और संसद पर किसी भी प्रकार का हमला बर्दाश्त नहीं करेगा और पन्नू लगातार जिस तरह की हरकतें कर रहा है और भड़काऊ बयानबाजी कर रहा है उस पर अमेरिका की चुप्पी कई बड़े सवाल खड़े करती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को चाहिए कि उसके मित्र देश भारत के खिलाफ अनर्गल बयान दे रहे पन्नू को गिरफ्तार करे और भारत में दर्ज मुकदमों का सामना करने के लिए उसे भारत सरकार को सौंपे।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक इस मुद्दे को लेकर भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में आये तनाव की बात है तो वह तो साफ प्रदर्शित हो ही रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा है कि भारत अमेरिका का एक रणनीतिक साझेदार है और उसने नयी दिल्ली से एक अमेरिकी सिख अलगाववादी नेता की हत्या की साजिश के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराए जाने की अपील की है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि भारत एक रणनीतिक साझेदार है। हम इस रणनीतिक साझेदारी को और गहरा कर रहे हैं। वह प्रशांत में क्वाड का सदस्य है। हम कई मामलों पर उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं और हम चाहते हैं कि यह इसी प्रकार जारी रहे। इसी के साथ हम इन आरोपों की गंभीरता को भी निश्चित रूप से समझते हैं। उन्होंने कहा कि किर्बी ने इस कथित षड्यंत्र का असर भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ सकने से जुड़े एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा है कि हम चाहते हैं कि इसकी गहन जांच हो और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को उचित तरीके से जवाबदेह ठहराया जाए।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक भारत का पक्ष है तो वह विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में भी स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में बताया है कि भारत ने अमेरिका से मिली जानकारी पर गौर करने के लिए एक जांच समिति का गठन किया है क्योंकि यह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने बताया कि जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि जहां तक अमेरिका का सवाल है, अमेरिका के साथ हमारे सुरक्षा सहयोग के तहत हमें कुछ जानकारी दी गई थी। वह जानकारी हमारे लिए चिंता का विषय हैं क्योंकि वे संगठित अपराध, तस्करी आदि की सांठगांठ से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री ने कहा कि क्योंकि उनका हमारी अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ता है, इसलिए मामले की जांच कराने का निर्णय लिया गया और एक जांच समिति का गठन किया गया।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के एक शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या के प्रयास से संबंधित आरोपों सहित विभिन्न द्विपक्षीय मामलों पर बातचीत के लिए नयी दिल्ली आये थे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में व्हाइट हाउस ने जानकारी दी है कि प्रधान उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने भारत के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्री के साथ महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी (आईसीईटी) पर महत्वाकांक्षी अमेरिकी-भारत पहल में हुई प्रगति की समीक्षा करने के लिए चार दिसंबर को नयी दिल्ली में एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका के प्रधान उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल से अलग-अलग मुलाकात की थी और विभिन्न द्विपक्षीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि पन्नू का मामला एक तरफ है लेकिन दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।

प्रश्न-4. नेपाल ने रूस से अपने लोगों को रूसी सेना में भर्ती करने से क्यों मना किया है?

उत्तर- अभी हाल ही में खबर आई थी कि रूसी सेना में भर्ती के लिए नेपाली नागरिकों को कथित तौर पर अवैध रूप से रूस भेजने में संलिप्त गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए उसके सभी 12 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि काठमांडू की जिला पुलिस ने मीडिया को जानकारी दी है कि रूसी सेना में भर्ती कराने के लिए गिरोह ‘विजिट’ वीजा तथा अन्य दस्तावेजों की व्यवस्था करने के लिए हर व्यक्ति से सात लाख से 11 लाख रुपये तक लेता था। उन्होंने कहा कि नेपाल पुलिस ने रूस-यूक्रेन युद्ध में छह नेपाली नागरिकों के मारे जाने के बाद मानव तस्करी की संभावित घटनाओं के खिलाफ एहतियाती कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इसीलिए नेपाल सरकार ने रूस से अपनी सेना में नेपाली नागरिकों की भर्ती नहीं करने का भी आग्रह किया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नेपाल ने रूस से यह भी अनुरोध किया है कि वह उसके नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती नहीं करे और यदि किसी नेपाली नागरिक को भर्ती किया गया है, तो उन्हें तुरंत स्वदेश भेज दे। उन्होंने कहा कि इस तरह की भी खबर आई है कि एक नेपाली को रूसी सेना की ओर से लड़ने के लिए यूक्रेन ने बंधक बना लिया है। उन्होंने कहा कि काठमांडू पोस्ट अखबार की खबर के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि सरकार द्वारा जान जोखिम में नहीं डालने के अनुरोध के बावजूद लगभग 200 नेपाली मौजूदा समय में रूसी सेना में पदस्थ हैं। उन्होंने कहा कि नेपाली अखबार ने कहा है कि इसी प्रकार विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, कुछ नेपाली युवा यूक्रेन की सेना में भी कार्य कर रहे हैं लेकिन उनकी सटीक संख्या ज्ञात नहीं है। उन्होंने कहा कि काठमांडू पोस्ट के मुताबिक पूर्व में सोशल मीडिया पर कई वीडियो प्रसारित हुए थे जिनमें नेपाली युवाओं को रूस और यूक्रेन की सेनाओं में सेवारत दिखाया गया था। वीडियो में दावा किया गया था कि वे प्रति माह 4,00,000 रुपये तक कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल केवल द्विपक्षीय समझौतों के तहत नेपाली नागरिकों को भारतीय और ब्रिटिश सेना में भर्ती की अनुमति देता है।

प्रश्न-5. चीन इस सप्ताह हिंद महासागर क्षेत्र फोरम का दूसरा सम्मेलन आयोजित करेगा, इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- इस क्षेत्र में चीन की हरकतों पर भारत की नजर लगी हुई है। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर पूरी दुनिया के लिए व्यापार का एक बड़ा मार्ग है इसलिए चीन इस पर अपना आधिपत्य जमाना चाहता है लेकिन भारत, अमेरिका तथा दुनिया की अन्य शक्तियां चीन के मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने देंगी। उन्होंने कहा कि चीन खासतौर पर भारत के पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका और मालदीव पर प्रभाव बढ़ा रहा है उसको देखते हुए भारत सरकार को काफी सतर्क रहना होगा और जो देश चीन के इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं उनकी किसी ना किसी प्रकार से मदद करनी होगी ताकि वह चीन के प्रभाव से बाहर निकल सकें।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक इस सम्मेलन की बात है तो चीन इस सप्ताह हिंद महासागर क्षेत्र फोरम का दूसरा सम्मेलन आयोजित कर रहा है जो भारत के करीब रणनीतिक जल क्षेत्र में अपने प्रभाव को मजबूत करने के प्रयास में क्षेत्र के कई देशों को एक साथ लाने की पहल है। उन्होंने कहा कि पिछले साल चीन की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व समूह का एक संगठन, चीन अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (सीआईडीसीए) ने दक्षिण-पश्चिम चीन में युन्नान प्रांत की राजधानी कुनमिंग में विकास सहयोग पर चीन-हिंद महासागर क्षेत्र फोरम (सीआईओआरएफडीसी) की एक बैठक आयोजित की थी। उन्होंने कहा कि सीआईडीसीए का नेतृत्व पूर्व उप विदेश मंत्री और भारत में राजदूत रहे लुओ झाओहुई कर रहे हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीआईडीसीए ने दावा किया कि इस सम्मेलन में इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमा, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशेल्स, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती, ऑस्ट्रेलिया सहित 19 देश हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और मालदीव ने बाद में अपनी भागीदारी से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि बैठक में भारत को आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि चीनी मंच का उद्देश्य स्पष्ट रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के मजबूत प्रभाव का मुकाबला करना है, जहां हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) जैसे भारत समर्थित संगठन ने मजबूत जड़ें जमा ली हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि आईओआरए में 23 देश शामिल हैं। 1997 में गठित आईओआरए में चीन एक संवाद भागीदार है। उन्होंने कहा कि आईओआरए के अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय देशों के बीच सक्रिय सहयोग के लिए 2015 में ‘‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’’ (सागर) का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना समर्थित ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (आईओएनएस) क्षेत्र की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाना चाहता है।

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