उद्योग/व्यापार

SEBI ने रियल्टी फंड मैनेजर्स पर लगाया 1 करोड़ का जुर्माना, निवेशकों का पैसा नहीं लौटाने समेत कई आरोप

मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने साल 2023 के अंतिम दिन निवेशकों को खुशखबरी दी है। दरअसल, सेबी निवेशकों का पैसा नहीं लौटाने वाले रियल्टी फंड मैनेजर्स पर जुर्माना लगाया है। इसके तहत, यूनिटेक एडवाइजर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड और उसके दो डायरेक्टर्स अजय और संजय चंद्रा पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह कार्रवाई कई एक्सटेंशन के बावजूद सालों पहले तीन रियल एस्टेट फंड्स को बंद करने में विफल रहने के लिए लगाया गया है। आदेश के मुताबिक राशि का भुगतान उनके द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना है।

फंड हाउस पर ये हैं आरोप

सेबी ने अपनी जांच में पाया कि फंड हाउस, जिसे अब ऑरम एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड के नाम से जाना जाता है, ने कई बार नियमों का उल्लंघन किया है। स्कीम को समय पर बंद न करने के अलावा यह देखा गया कि यूनिटेक एडवाइजर्स ने निवेशकों के पैसे को अपने ग्रुप की कंपनियों में निवेश किया था, गलत निवेश निर्णय लिए, और अभी भी अपने अधिकांश निवेशकों का पैसा वापस नहीं किया।

कितना लगा जुर्माना

सेबी ने संजय चंद्रा कंपनी के एक अन्य डायरेक्टर हितेंद्र मल्होत्रा और यूनिटेक रियल्टी इन्वेस्टर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के डारेक्टर और नॉमिनी दीपक बजाज पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है और इसे संयुक्त रूप से भुगतान किया जाएगा। जानकारी, रिटर्न आदि देने में विफलता के लिए उनमें से प्रत्येक को 3.33 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।

सेबी ने हितेंद्र मल्होत्रा और दीपक बजाज पर 10 लाख रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया है, जिसे संयुक्त रूप से भी देना होगा, यानी दोनों को 5-5 लाख रुपये देने होंगे। यह जुर्माना निवेशकों की शिकायतों को हल करने में विफलता के लिए है। सेबी ने फंड हाउस के तीन ट्रस्टियों – विजय तुलश्यान, महेश कुमार शर्मा और राकेश ढींगरा पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

इसके अलावा मार्केट रेगुलेटर ने यूनिटेक एडवाइजर्स को छह महीने के भीतर तीन रियल्टी फंड्स को बंद करने का निर्देश दिया है, और नेट एसेट वैल्यू (NAV) तय करने में सक्षम होने के लिए पारदर्शी रूप से अपनी अंडरलाइनिंग एसेट्स का मूल्यांकन करके यूनिटहोल्डर्स को पैसा लौटा दिया है।

निवेशक अब भी कर रहे अपने पैसे का इंतजार

सेबी ने पाया कि यूनिटेक और उसके फंड मैनेजर्स ने अवैध रूप से स्कीम के टेन्योर को उनके ऑफर डॉक्यूमेंट्स में तय सीमा से अधिक बढ़ा दिया था। फंड ने 2006-07 के आसपास तीन स्कीम, सीआईजी रियल्टी फंड I, II और IV लॉन्च की थीं। ये हाई-रिस्क, हाई-रिटर्न, क्लोज-एंडेड स्कीम हैं जो चुनिंदा निवेशकों को बेची जाती हैं जो एक अवधि के लिए पैसा लगाते हैं।

यह म्यूचुअल फंड के नए फंड ऑफर (NFO) के पीरियड की तरह काम करता है, लेकिन आम तौर पर कुछ महीनों से लेकर कुछ सालों तक चलता है, जब भी फंड मैनेजर को अवसर मिलते हैं और फिर फ्रेश इन्फ्लो के लिए ‘कॉल’ करने की व्यवस्था की जाती है। निवेश या तो इक्विटी या डेट इंस्ट्रुमेंट में किया जाता है, और इसका लक्ष्य 15-25 फीसदी का रिटर्न होता है।

Source link

Most Popular

To Top