उद्योग/व्यापार

SEBI ने इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स पर कसा शिकंजा, साल में दो बार सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी की जानकारी देनी होगी

इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स को साल में दो बार सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी के बारे में डिटेल जानकारी देनी होगी। उन्हें यह जानकारी एक सुपरवायजरी बॉडी को देनी होगी, जिसकी नियुक्ति सेबी करता है। इस बारे में मार्केट रेगुलेटर ने 7 मई को एक सर्कुलर जारी किया है। इसमें बतया गया है कि एडवाइजर्स को फेसबुक, ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी मौजूदगी के बारे में बताना होगा। कंपनी सेक्रेटरी आनंद कनकनी ने मनीकंट्रोल को बताया कि सेबी ने यह नया नियम बनाया है। इससे सुपरवायजरी बॉडी के लिए इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखना आसान हो जाएगा। कनकनी इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट को सलाह देते हैं।

साल में दो बार देनी होगी जानकारी

उन्होंने कहा कि SEBI पहले से रजिस्टर्ड एनटिटी की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखता है। लेकिन, अब उसने स्पष्ट रूप से इस बारे में डिटेल जानकारी देने को कहा है। अगर इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी के बारे में ठीक से नहीं बताते हैं तो मार्केट रेगुलेटर उनके खिलाफ एक्शन ले सकता है। सेबी के सर्कुलर के मुताबिक, इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स को अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स एडमिनिस्ट्रेशन एंड सुपरवायजरी बॉडी (IAASB) को बताना होगा। एक फाइनेंशियल ईयर में दो बार यानी 30 सितंबर और 31 मार्च को यह जानकारी देनी होगी।

बैंक अकाउंट नंबर, ब्रांच की संख्या और एड्रेस भी बताने होंगे

इस सर्कुलर में कहा गया है, “इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स के लिए इंडस्ट्री स्टैंडर्स फोरम (ISF) बनने के बाद इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स की पीरियोडिक रिपोर्टिंग के लिए स्टैंडर्स फॉरमैट पर चर्चा हुई है। इस बारे में सुझाव सेबी को भेज दिए गए हैं।” सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी की जानकारी के साथ ही इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स को उस बैंक अकाउंट के बारे में बताना होगा, जिसमें उसकी एडवायजरी फीस आती है। साथ ही ट्रेड और ब्रांड नाम, एड्रेस, ब्रांच की संख्या और शेयरहोल्डिंग पैटर्न के बारे में बताना होगा। उन कंपनियों के नाम बताने होंगे जिनमें इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स की 10 फीसदी या इससे ज्यादा हिस्सेदारी है।

गलत कमाई को सेबी जब्त कर सकता है

बैंक अकाउंट की जानकारी तब बहुत अहम हो जाती है जब इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स के नियमों का उल्लंघन करते पाया जाता है। ऐसी स्थिति में सेबी एडवायजरी फीस से होने वाली अवैध कमाई को जब्त कर सकता है। ऐसा नहीं होने पर इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स यह बताते है कि उन्हें पैसे दोस्त या रिश्तेदारों से मिले हैं या यह दूसरे स्रोतों से हुई कमाई है।

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