भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) वैकल्पिक निवेश फंडों (AIF) में प्राथमिकता के आधार पर वितरण खत्म कर सकता है। उसके बजाय उनके संकल्प के आधार पर प्रो-राटा राइट्स देने पर विचार किया जा सकता है।
AIF में विभिन्न पक्ष निवेश करते हैं किंतु कुछ योजनाओं में वितरण के समय पक्षपात देखा जाता है। इसमें अक्सर निवेशकों की छोटी श्रेणी को उनके योगदान के मुकाबले से कम शेयर मिलते हैं, जबकि बड़ी श्रेणी योगदान के मुकाबले ज्यादा शेयर मिल जाते हैं।
चूंकि, वरिष्ठ श्रेणी के निवेशकों को शेयर वितरण में तरजीह दी जाती है इसलिए मुनाफा भी पहले उन्हीं को बांटा जाता है। उनको होने वाले घाटे की भरपाई छोटी श्रेणी के निवेशकों की बची हुई पूंजी से की जाती है।
एक नए चर्चा पत्र में सेबी ने प्रस्ताव किया है कि प्रत्येक निवेशक को उसके निवेश के हिसाब से ही प्रो-राटा राइट्स दिए जाएं। इससे किसी भी योजना का दुरुपयोग नहीं हो सकेगा।
सेबी ने कहा, ‘यह देखा गया कि पीडी मॉडल का दुरुपयोग किया जा रहा है और यह एआईएफ के नियामकीय उद्देश्य के अनुरूप नहीं है।’
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पूंजी बाजार नियामक ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि पीडी मॉडल अपनाने वाले एआईएफ की मौजूदा योजनाएं अपने मौजूदा निवेश को बरकरार रख सकती हैं, लेकिन निवेश करने वाली नई कंपनी में नए निवेश को स्वीकार नहीं कर सकती हैं।
नवंबर के शुरू में, सेबी ने पीडी मॉडल से जुड़े मौजूदा फंडों को तब तक नए निवेश लेने से प्रतिबंधित कर दिया था, जब तक कि इस मामले में नियामकीय स्थिति स्पष्ट न हो जाए।
