उद्योग/व्यापार

RBI के ड्राफ्ट नॉर्म में फिनटेक SROs के लिए निष्पक्ष मध्यस्थ की भूमिका निभाने पर जोर

रिजर्व बैंक (RBI) ने 15 जनवरी को अपने ड्राफ्ट नॉर्म में कहा कि फिनेटक सेक्टर (fintech sector) के सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशंस (SROs) को किसी तरह के प्रभाव में नहीं आना चाहिए और विवादों में निष्पक्ष मध्यस्थ के तौर पर भूमिका निभानी चाहिए। रिजर्व बैंक के मुताबिक, फिनटेक सेक्टर के SROs को इस सेक्टर के वास्तविक प्रतिनिधि के तौर पर काम करना चाहिए और सदस्यों को रेगुलेटरी प्राथमिकताओं का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

नॉर्म्स के मुताबिक, फिनेटक सेक्टर के SROs से निष्पक्ष तरीके से काम करने की उम्मीद की जाती है। केंद्रीय बैंक ने इस ड्राफ्ट पर फरवरी के आखिर तक आम लोगों और संबंधित पक्षों से टिप्पणियां या राय मांगी है। योग्यता और मेंबरशिप के बारे में ड्राफ्ट नॉर्म में कहा गया है कि फिनटेक सेल्फ रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन की जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए आवेदक के पास पर्याप्त नेटवर्थ और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का होना जरूरी है।

ड्राफ्ट नॉर्म में कहा गया है कि फिनेटक सेक्टर के सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशंस (SRO-FT) को रिजर्व बैंक की मंजूरी के बिना दूसरे मुल्कों में ब्रांच या ऑफिस नहीं खोलना चाहिए। इसके अलावा, SRO-FT को ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए, ताकि यूजर्स को नुकसान पहुंचने से बचाया जा सके। SRO-FT के आवेदक को फिनेटक सेक्टर का असली प्रतिनिधि होना चाहिए और इसमें सभी साइज और कैटगरी की इकाइयों की मेंबरशिप सुनिश्चित की जानी चाहिए।

अगर आवेदन दिए जाने के वक्त प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है, तो आवेदन में एक निश्चित समयसीमा के भीतर इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए रोडमैप होना चाहिए। SRO-FT के सदस्यों को फिनटेक होना चाहिए और मेंबरशिप स्वैच्छिक होना चाहिए। ड्राफ्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक फिन-टेक इकाइयों को मान्यता प्राप्त SRO-FT का सदस्य बनने के लिए प्रेरित करेगा।

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