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Ramlala के दर्शन करने अयोध्या जा रहे हैं तो जान लें नई पूजा पद्धति, अब इस तरह होगा भगवान राम का पूजन

भगवान श्रीरामलला के पूजन के लिए श्री रामोपासना के नाम से नई पूजा पद्धति तैयार हो गई है। नई पूजन पद्धति को एक पुस्तक का रूप देकर रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को सौंप दिया गया है। हम आपको बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की नित्य आरती, भोग और दर्शन पूजन में भी बदलाव होंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की धार्मिक समिति ने जो नियमावली बनाई है उसके मुताबिक प्रतिदिन सुबह 4 बजे मंगला आरती से पूजन शुरू होगा और रात्रि 8 बजे शयन आरती के बाद विश्राम होगा। इस नियमावली के तहत रामानंद परंपरा में पंचवर्षीय भगवान श्री रामलला की पूजा की जानी है। पूजा की कुछ पद्धति में बदलाव किया गया है। जिसके मुताबिक पूजन सुबह 4 बजे से आरंभ होगा और शयन तक अनेक प्रकार विधान निर्धारित किये गये हैं। पहले मंगला आरती, फिर श्रृंगार आरती के बाद राजभोग होगा। दोपहर की आरती और भोग होगा। फिर शायनकल की आरती होगी फिर उसके बाद शयन आरती के बाद भगवान विश्राम करेंगे।

रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने प्रभासाक्षी से खास बातचीत में बताया कि रामलला की पूजन पद्धति में कुछ परिवर्तन हुए हैं इससे संबंधित नियमावली हम लोगों को भी दी गयी है। उन्होंने बताया कि राम मंदिर में रामलला और उनके चारों भाई की पूजा किस प्रकार की जाये, इस नियमावली में पूरी जानकारी दी गई है। 

वहीं दूसरी ओर, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जहां तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं वहीं 22 जनवरी को लेकर देशभर में भी उत्साह बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज से 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान शुरू किया है। उन्होंने कहा कि जो अनुभव उन्हें हो रहा है वैसा अनुभव उन्हें जीवन में पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भावुक हूं, भाव-विह्वल हूं। मैं पहली बार जीवन में इस तरह के मनोभाव से गुजर रहा हूं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस स्वप्न को अनेक पीढ़ियों ने वर्षों तक एक संकल्प की तरह अपने हृदय में जिया, उन्हें उसे साकार होते हुए देखने का सौभाग्य मिला है। मोदी ने एक ऑडियो संदेश में कहा कि उनके अंतर्मन की यह भाव यात्रा अभिव्यक्ति की नहीं बल्कि अनुभूति का अवसर है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हुए भी इसकी गहनता, व्यापकता और तीव्रता को शब्दों में बांध नहीं पा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सभी भारतीयों और भगवान राम के भक्तों के लिए पवित्र अवसर है और हर कोई 22 जनवरी को उस ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रहा है जब भगवान राम की प्रतिमा अयोध्या में स्थापित की जाएगी जिसे भक्त उनका जन्म स्थान मानते हैं। उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वह इस पवित्र पल के साक्षी बनेंगे। मोदी ने कहा कि प्रभु ने उन्हें ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के दौरान सभी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है और वह इसे ध्यान में रखते हुए 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं आप सभी जनता-जनार्दन से आशीर्वाद का आकांक्षी हूं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वक्त किसी की भी भावना को शब्दों में बांधना मुश्किल है लेकिन वह कोशिश कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि शास्त्रों में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के लिए लोगों के वास्ते सख्त और कठिन दिशा निर्देश हैं। उन्होंने कहा कि वह आध्यात्मिक यात्रा के कुछ विद्वानों के मार्गदर्शन में विशेष अनुष्ठान शुरू कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह नासिक में धाम-पंचवटी से अनुष्ठान शुरू करेंगे जिसके बारे में माना जाता है कि भगवान राम ने वहां लंबा समय व्यतीत किया था। उन्होंने कहा कि आज स्वामी विवेकानंद की जयंती भी है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ही तो थे जिन्होंने हजारों वर्षों से आक्रांतित भारत की आत्मा को झकझोरा था और आज वही आत्म-विश्वास भव्य राम मंदिर के रूप में हमारी पहचान बनकर सबके सामने है। उन्होंने कहा कि आज मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की मां माता जीजाबाई की जयंती भी है।

मोदी ने कहा कि उन्हें अपनी मां की याद आना भी स्वाभाविक है जिन्होंने जीवन के अंत तक माला जपते हुए सीता-राम का नाम भजा। उन्होंने कहा कि जब वह उस पवित्र पल के साक्षी बनेंगे तो उनके मन में 140 करोड़ भारतीय और उन अनगिनत लोगों की यादें होंगी जिनका एकमात्र ध्येय राम मंदिर का निर्माण रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जनता भी ईश्वर का एक रूप है और वह उनकी ऊर्जा साथ लेकर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करेंगे। उन्होंने लोगों से अपने विचार साझा करने और उन्हें आशीर्वाद देने का भी अनुरोध किया।

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