Ram Mandir Inauguration: अयोध्या (Ayodhya) राम जन्मभूमि (Ram Janmbhoomi) देश के इतिहास के सबसे लंबे और विवादित मामलों में से एक है। राम जन्मभूमि का इतिहास प्राचीन है, जो 1528 से 2023 तक करीब 495 सालों का है। राम जन्मभूमि के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज की गई हैं, इसमें 9 नवंबर, 2019 का अपना एक अलग महत्तव है, जब पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। ये फैसला मंदिर के पक्ष में था और इसे हिंदू पक्ष की एक बड़ी और एतिहासिक जीत माना जाता है।
22 जनवरी 2024 को अब भगवान राम अपने भव्य और विशाल मंदिर में स्थापित होने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हाथों से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। देशभर की कई जानी-मानी हस्तियां इस एतिहासिक पल की साक्षी बनेंगे। आइए इससे पहले एक नजर डालें इस पूरे आंदोलन पर…
राम मंदिर: कब-कब क्या हुआ?
1528: मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने विवादित स्थल पर एक मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया गया। हिंदू समुदाय का दावा था कि ये जगह भगवान राम का जन्मस्थान है और इस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर था। हिंदुओं ने दावा किया कि मस्जिद के गुंबदों में से एक के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था।
1853-1949: उस जगह के आसपास सांप्रदायिक दंगे हुए जहां, 1853 में मस्जिद का निर्माण किया गया था। इसके बाद, 1859 में, ब्रिटिश प्रशासन ने विवादित क्षेत्र के चारों ओर एक बाड़ लगा दी, जिससे मुसलमानों को मस्जिद के अंदर नमाज पढ़ने की अनुमति मिल गई और हिंदुओं को प्रांगण के पास पूजा करने की अनुमति मिल गई।
1949: अयोध्या राम जन्मभूमि पर असल विवाद 23 सितंबर, 1949 को शुरू हुआ, जब मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्तियां पाई गईं। हिंदुओं का दावा था कि भगवान राम वहां स्वयं प्रकट हुए थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने मूर्तियों को तत्काल हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट के.के. नायर ने धार्मिक भावनाएं आहत होने और हिंसा भड़कने के डर से आदेश लागू करने में असमर्थता जताई।
1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं- एक विवादित भूमि पर भगवान राम की पूजा की अनुमति मांगी गई और दूसरी मूर्तियां स्थापित करने की अनुमति मांगी गई।
1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर कर विवादित जमीन पर कब्जा करने और मूर्तियां हटाने की मांग की।
1984: 1 फरवरी 1986 को फैजाबाद के जिला न्यायाधीश उमेश चंद्र पांडे की याचिका के आधार पर के.एम. पांडे ने हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी और ढांचे से ताले हटाने का आदेश दिया।
1992: 6 दिसंबर 1992 को एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) और शिव सेना के कार्यकर्ताओं समेत हजारों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया। इसके कारण देशव्यापी सांप्रदायिक दंगे हुए और हजारों लोगों की जान चली गई।
2002: गोधरा ट्रेन जलाने की घटना हुई, जिसमें हिंदू कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया था। इसके बाद गुजरात में दंगे हुए, जिसमें 2,000 से ज्यादा लोग मारे गए।
2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला विराजमान और निर्मोही अखाड़े के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया।
2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
2017: सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के बाहर समाधान का आह्वान किया और कई BJP नेताओं पर आपराधिक साजिश का आरोप लगाया।
2019: 8 मार्च, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा और आठ हफ्ते के भीतर कार्यवाही खत्म करने का आदेश दिया। मध्यस्थता पैनल ने बिना कोई समाधान हासिल किए 2 अगस्त, 2019 को अपनी रिपोर्ट पेश की।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर रोजाना सुनवाई शुरू की और 16 अगस्त, 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को दी गई और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई।
2020: 25 मार्च, 2020 को 28 साल बाद रामलला की मूर्तियों को तंबू से फाइबर के मंदिर में शिफ्ट कर दिया गया और 5 अगस्त को मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन समारोह हुआ।
2023: अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का निर्मण जारी है। 22 जनवरी, 2024 को रामलला के भव्य मंदिर की प्रतिष्ठा होगी, जिससे दशकों से चले आ रहे विवाद का अंत हो जाएगा और रामलला की पूजा-अर्चना बड़ी ही धूम-धाम के साथ की जाएगी।