संसद में जम्मू कश्मीर से जुड़े दो विधेयकों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने एक बार फिर से कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है। इसके साथ ही उन्होंने कश्मीर से विस्थापित हुए लोगों के लिए सहानुभूति जताई। जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पहले जम्मू में 37 सीटें थीं, अब 43 हैं। कश्मीर में पहले 46 थीं, अब 47 हैं और PoK में 24 सीटें हमने रिजर्व रखी हैं, क्योंकि PoK हमारा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में एक सीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापित लोगों के लिए आरक्षित होगी।
अमित शाह ने इस दौरान देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि पहली और सबसे बड़ी गलती- जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ। अगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। दूसरा- UN में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने की गलती की। अमित शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे और 2026 तक जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा।
शाह ने कहा कि दो बड़ी गलतियां नेहरू के कार्यकाल में हुई। नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा। पहली और सबसे बड़ी गलती वह थी जब जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही संघर्ष विराम कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ। अगर संघर्ष विराम तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। शाह ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में नहीं ले जाना चाहिए था, लेकिन अगर ले जाना था तो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर 51 के तहत ले जाना चाहिए था, लेकिन चार्टर 35 के तहत ले जाया गया।’’
नेहरू के संदर्भ में शाह की टिप्पणियों का विरोध करते हुए कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। इस बीच बीजू जनता दल के भर्तृहरि ने कहा कि इसके लिए ‘हिमालयन ब्लंडर (विशाल भूल)’ का प्रयोग किया जाता है और गृह मंत्री चाहे तो इसका भी इस्तेमाल कर सकते हैं। नेहरू के संदर्भ में शाह की टिप्पणियों कांग्रेस के सदस्यों ने पुरजोर विरोध किया तथा इस दौरान सत्तापक्षा और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर से संबंधित जिन दो विधेयकों पर सदन में विचार हो रहा है, वे उन सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए लाये गये हैं जिनकी 70 साल तक अनदेखी की गई और जिन्हें अपमानित किया गया।
विपक्षी नेताओं का पलटवार
अमित शाह के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू वाले बयान पर शिवसेना(UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा 75 साल के इतिहास को कोसे जा रही है। इतिहास को कोस-कोसकर ही इन्होंने बहुमत पाया…370 हटाते वक्त इन्होंने कहा था कि आतंकी हमले खत्म होंगे, कश्मीरी पंडित वापस अपने घर लौटेंगे और जल्द से जल्द चुनाव होगा लेकिन न चुनाव हुए, न कश्मीरी पंडित अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और न ही आंतकी हमले खत्म हुए… मेरा बस उनसे(केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह) यही प्रश्न है कि जम्मू-कश्मीर में कब चुनाव होंगे?”
नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख़ अब्दुल्ला ने कहा, “…उस समय, पुंछ और राजौरी को बचाने के लिए सेना को हटाया गया था। अगर ऐसा नहीं किया गया होता, तो पुंछ और राजौरी भी पाकिस्तान में चला जाता… उस समय और कोई रास्ता नहीं था, लॉर्ड माउंटबेटन और सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी सुझाव दिया था कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका में जाना चाहिए।”
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू को गाली देना और गलत तथ्य पेश करना भाजपा की आदत बन गई है… आप आज कुछ भी कह सकते हैं क्योंकि जवाहरलाल नेहरू जवाब देने के लिए यहां नहीं हैं। यदि जवाहरलाल नेहरू ने अपनी बुद्धि का प्रयोग न किया होता, प्रयास न किया होता तो श्रीनगर हमारे पास नहीं होता।