राजनीति

Parliament Diary: Mahua Moitra की सांसदी गई, Lok Sabha में वोटिंग के बाद हुआ फैसला

Parliament Diary: Mahua Moitra की सांसदी गई, Lok Sabha में वोटिंग के बाद हुआ फैसला

तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा को लेकर आज संसद में जबरदस्त तरीके से हंगामा देखने को मिला। लोकसभा से कैश फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा को निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद से विपक्षी सांसदों का शोर भी शुरू हो गया। विपक्षी सांसद लगातार महुआ मोइत्रा को लोकसभा अध्यक्ष से बात रखने की अनुमति देने की मांग कर रहे थे। हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ने पहले की परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया। गौरतलब है कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस मामले को मुद्दा बनाया था। दूसरी ओर राज्यसभा में आज शुक्रवार होने के नाते सदस्यों के गैर सरकारी कामकाज का दिन रहा। राज्यसभा में सांसदों के निजी विधेयकों पर चर्चा हुई। 

लोकसभा की कार्यवाही

– तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में शुक्रवार को सदन की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद उसे मंजूरी दी गई जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी। 

– तृणमूल कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा के मामले में आचार समिति की कार्यवाही की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हुए लोकसभा में कहा कि पार्टी नेता के खिलाफ नकदी के लेनदेन का कोई सबूत नहीं है। सदन में आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा समिति की पूरी रिपोर्ट मीडिया में लीक कर दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि महुआ को बोलने का मौका दिया जाए।’’ कल्याण बनर्जी ने कहा, ‘‘निष्पक्ष सुनवाई तब होती है जब प्रभावित व्यक्ति को सुना जाता है। अगर उसे सुना नहीं जाएगा तो कोई निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी।’’ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पुरानी संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया। उन्होंने संसद की उच्च परम्पराओं को कायम रखने के लिए अपना अंत:करण शुद्ध रखने और आचरण में शुचिता रखने की सदस्यों से अपील की। 

– कांग्रेस ने ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के आरोप में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ आचार समिति के प्रतिवेदन पर शुक्रवार को लोकसभा में ‘आनन-फानन’ में चर्चा कराये जाने का आरोप लगाते हुए इसे ‘प्राकृतिक न्याय’ के सिद्धांत का उल्लंघन करार दिया और कहा कि यदि सदस्यों को रिपोर्ट पढ़ने के लिए तीन-चार दिन दे दिये गये होते तो ‘आसमान नहीं टूट पड़ता’। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे शुरू होते ही आचार समिति की प्रथम रिपोर्ट को चर्चा के लिए पेश किया, जिस पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि संबंधित रिपोर्ट को पढ़कर चर्चा करने के लिए सदस्यों को कम से कम तीन-चार दिन का समय दिया जाना चाहिए

राज्यसभा की कार्यवाही

– राज्यसभा में शुक्रवार को पंजाब में सजा पुरी कर चुके सिख कैदियों को रिहा करने और देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की मांग उठाई गई वहीं कम उम्र के लोगों में हृदयाघात के बढ़ते मामलों पर चिंता भी जताई गई। आम आदमी पार्टी (आप) के विक्रम सिंह साहनी ने शून्य काल में कहा कि पंजाब में आतंकवाद के दौर में कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था और इनमें से अधिकांश ऐसे हैं जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है लेकिन अब तक उनकी रिहाई नहीं हुई है। भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में देश के नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता बनाए जाने की बात कही गई है। 

– रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि विभिन्न स्टेशनों और ‘हॉल्ट’ पर रेलगाड़ियों का ठहराव समाप्त किए जाने का कोविड महामारी से कोई संबंध नहीं है और यह फैसला पूरी तरह से रखरखाव एवं सुरक्षा से जुडा है। वैष्णव ने कहा कि सुरक्षा एवं अन्य जरूरतों के मद्देनजर रेल पटरियों के रखरखाव की जरूरत होती है और उसे ध्यान में रखते हुए यह कठिन फैसला किया गया। 

– प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या में 67 प्रतिशत कमी आने के विपक्ष के दावे को खारिज करते हुए सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि उसका प्रयास सभी पात्र किसानों को इस योजना के दायरे में लाना है। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।

– राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि शुक्रवार के दिन सदन में भोजनावकाश के बाद बैठक का समय लोकसभा के कार्यक्रम के अनुरूप दोपहर ढाई बजे से बदलकर दोपहर दो बजे कर दिया गया है। राज्यसभा में सुबह के सत्र में सूचीबद्ध दस्तावेज पेश किए जाने के बाद द्रमुक के तिरुचि शिवा ने दिन के कामकाज के कार्यक्रम संबंधी दस्तावेज में छपे समय में बदलाव की ओर इशारा किया और इसका कारण जानना चाहा। 

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