प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्युमेंट्री देखने और दिखाने पर उतारू लोग क्या पाना चाहते हैं, समझ से परे है। असल सवाल यह है कि क्या ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ में जो दिखाया गया है, क्या उसका कोई अच्छा मकसद हो सकता है? गुजरात दंगों को 20 वर्ष हो गए। भारत का आम आदमी उससे बाहर निकल चुका है। ऐसे में उस घाव को फिर से कुरेदने का क्या मकसद हो सकता है?
