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OCHA: 7 अक्टूबर के हमास हमलों का एक साल, मृत्यु, विध्वंस, विस्थापन की पीड़ा

OCHA: 7 अक्टूबर के हमास हमलों का एक साल, मृत्यु, विध्वंस, विस्थापन की पीड़ा

एजेंसी ने कहा है कि उस हमले में 1200 इसराइली और विदेशी नागरिक मारे गए थे, और लगभग 5,500 घायल हुए थे. 

उसके बाद ग़ाज़ा में इसराइली हमलों में, स्थानीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 41,000 हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं और 96 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं. हज़ारों अन्य लोग मलबे के नीचे दबे हैं.

एजेंसी ने कहा है कि ग़ाज़ा में लगभग हर एक व्यक्ति को विस्थापित होना पड़ा है, जिनमें से अनेक तो कई बार विस्थापित हुए हैं, और ग़ाज़ा में कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है. 

आम लोगों को अत्यन्त गम्भीर अभाव का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें स्वास्थ्य देखभाल, भोजन, बिजली व मानवीय सहायता या तो उपलब्ध ही नहीं या बहुत सीमित स्तर की उपलब्ध है. बच्चों का पूरा शैक्षणिक वर्ष व्यर्थ हो गया है.

OCHA ने कहा है कि साथ ही, विस्थापित परिवारों को पनाह देने वाले स्कूलों पर बार-बार बमबारी की गई है, स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों और अस्पतालों पर भी व्यवस्थागत रूप में हमले किए गए हैं, और सहायता क़ाफ़िलों पर गोलियाँ चली हैं और उन्हें रोका भी गया है.

इस बीच पश्चिमी तट में इसराइली बलों द्वारा प्रयोग किए जा रहे घातक बल प्रयोग ने, हताहतों की संख्या बढ़ाई है, व्यापक पैमाने पर तबाही की है और लोगों को विस्थापित किया है. इसमें यहूदी बाशिन्दों द्वारा की जा रही हिंसा और घरों को गिराया जाना भी शामिल है.

सहायता के लिए प्रतिबद्ध

पिछले एक वर्ष के दौरान इसराइल ने ग़ाज़ा में मानवीय सहायता पहुँचने से रोकी है, जिससे सहायता अभियान ठप हो गए.

OCHA ने कहा है कि 300 से अधिक मानवीय सहायताकर्मी मारे गए हैं, और उनमें बड़ी संख्या, फ़लस्तीनी शरणार्थियों की सहायता के लिए यूएन एजेंसी – UNRWA के कर्मचारियों की है. 

किसी एक संकट में मारे गए यूएन कर्मचारियों की ये सबसे बड़ी संख्या है, जिसने ग़ाज़ा को, सहायता कर्मियों के लिए दुनिया में सबसे अधिक ख़तरनाक स्थान बना दिया है.

फिर भी, विशाल जोखिमों के बावजूद, मानवीय सहायता कर्मी, यथा सम्भव अपनी सेवाएँ मुहैया कराना जारी रखे हुए हैं.

उन्होंने पोलियो से बचाने वाली वैक्सीन के अभियान के दौरान, 5 लाख 60 हज़ार बच्चों को ख़ुराकें पिलाई हैं.

OCHA की कार्यवाहक अवर महासचिव जॉयस मयूसा ने कहा है, “ये, निरन्तर जारी त्रासदी के 12 महीने रहे हैं – इसे रोका जाना होगा.”

उन्होंने कहा, “सदस्य देशों को, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और मानवाधिकारों के लिए, सम्मान सुनिश्चित करने के लिए, अपने प्रभाव का प्रयोग करना होगा. इसमें अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्णयों के लिए सम्मान भी शामिल है.”

“उन्हें दंडमुक्ति का अन्त करने के लिए भी काम करना होगा. एक तत्काल युद्धविराम और टिकाऊ शान्ति के लिए पहले ही बहुत देर हो चुकी है.”

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