विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. सनातन धर्म की मान्यता अनुसार साल में होने वाले सभी 26 एकादशी व्रत में निर्जला एकादशी व्रत बहुत खास माना गया है. ज्योतिषियों की मानें तो इस व्रत को करने के लिए लोगों को निर्जला रहकर व्रत नियम पूर्वक करना होता है. जिससे उन्हें ऐश्वर्य सुख, शांति, समृद्धि, सहित बैकुंठ की प्राप्ति होती हैं. कहा जाता है कि इसे करने से साक्षात भगवान विष्णु के दर्शन होते हैं.
इस पर विशेष जानकारी देते हुए पंडित और ज्योतिषाचार्य दयानाथ मिश्र कहते हैं कि निर्जला एकादशी व्रत बहुत खास महत्व रखता है. वही इस बार निर्जला एकादशी व्रत 31 मई को होगा. निर्जला एकादशी का मतलब बिना जल पिएं निर्जला एकादशी किया जाता है. हालांकि उन्होंने कहा और सभी एकादशी व्रत में लोग फलाहार करते हैं, लेकिन इस पर्व में ऐसा कोई विधान नहीं है. इसलिए इसे सबसे सर्वश्रेष्ठ एकादशी माना गया.
इस तरह निर्जला एकादशी की हुई शुरुआत
पंडित जी कहते हैं की निर्जला एकादशी व्रत में व्यास ऋषि ने भीमसेन को बताया की यदि वह केवल निर्जला एकादशी व्रत करते हैं, तो साल भर में पड़ने वाले किसी भी एकादशी को ना करके अगर निर्जला एकादशी किया जाए तो पूरे साल भर के कुल 26 एकादशी के फल निर्जला एकादशी को करने से मिल जाता है. इसलिए निर्जला एकादशी व्रत अवश्य करना चाहिए. जिससे भगवान् विष्णु के साक्षात दर्शन होते हैं. उन्होंने कहा भगवान् विष्णु की बहन एकादशी है, जिसे भगवान् विष्णु ने अपनी बहन कोवरदान दिया है. जो एकादशी व्रत करेंगे उनको साक्षात बैकुंठ की प्राप्ति होगी भगवान विष्णु का दर्शन होगा. इसलिए एकादशी व्रत करना चाहिए और उसमें निर्जला जो सभी एकादशी व्रत में सर्वोपरि है.
निर्जला एकादशी व्रत के पहले करें ये सब
पंडित जी कहते हैं इस व्रत को शुरू करने के एक दिन पहले एक भुक्त भोजन करना चाहिए. एकादशी के दिन स्नान ध्यान कर पूजा पाठ करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस दिन अगर ओम् नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप किया जाए तो निश्चित रूप से विशेष लाभ होगा.
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FIRST PUBLISHED : May 26, 2023, 09:30 IST
