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Interim Budget 2024: किन उपायों से दूर हो सकेगा कृषि और किसानों का दुख-दर्द?

Interim Budget 2024: अंतरिम बजट में आम तौर पर अहम घोषणाएं नहीं होती हैं। हालांकि, 2019 का अंतरिम बजट इस मायने में अलग था। चुनाव से पहले ठीक पेश किए इस बजट में ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ स्कीम का ऐलान किया गया था और इसे दिसंबर 2018 से ही लागू कर दिया गया था। बड़ी संख्या में किसानों को पीएम किसान की पहली किस्त का भुगतान 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले किया गया था। क्या इस बार भी इस तरह का ऐलान किया जा सकता है?

वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान इकोनॉमी में एग्रीकल्चर और इससे जुड़े सेक्टरों के ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (GVA) की हिस्सेदारी क्रमशः 20.3 पर्सेंट और 19 पर्सेंट रही। वित्त वर्ष 2022-23 में जहां इकोनॉमी में बाकी सभी सेक्टरों के योगदान में बढ़ोतरी हुई, वहीं कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी घटकर 18.3 पर्सेंट हो गई। ज्यादातर किसानों के पास जमीन कम है और सिर्फ खेती पर निर्भर रहने वाले लोगों की इनकम बेहद सीमित है। यहां तक कई छोटे और सीमांत किसानों को गुजारा करने के लिए मजदूरी तक करनी पड़ रही है। ऐसी स्थिति में अंतरिम बजट में कुछ ऐसा करने की जरूरत है, ताकि आने वाले बजट को बेहतर दिशा दी जा सके।

अंतरिम बजट के लिए कृषि से जुड़ी थीम

मेरे हिसाब से अंतरिम बजट में तीन प्रमुख थीम का ध्यान रखना जरूरी है

पहला- इसमें बेहतर मेहनताना वाले रोजगार के अवसरों के लिए रोडमैप पेश किया जाना चाहिए, ताकि कुछ खेतिहर मजदूर इससे बाहर निकलकर अपने लिए बेहतर आमदनी का जरिया ढूंढ सकें। इसके लिए नई तरह की सोच की जरूरत है। टेक्सटाइल, गारमेंट्स, लेदर, फूड प्रोसेसिंग, वेयरहाउसिंग, कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर, होटल, टूरिज्म आदि सेक्टर कुछ सरप्लस वर्कर्स के लिए अपने यहां गुंजाइश बना सकते हैं और कृषि क्षेत्र से दबाव हट सकता है। बजट में बेहतर क्वालिटी वाला इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने की जरूरत है, ताकि ये इंडस्ट्रीज ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकें।

दूसरा- कृषि क्षेत्र के भीतर दूसरी प्राथमिकता हरित क्रांति वाले इलाकों में मिट्टी और जल संसाधनों को दूषित होने से रोकना है। हरित क्रांति वाले इलाकों में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं। इन इलाकों में मौजूद पारिस्थितिकी संकट के बारे में न सिर्फ किसानों, बल्कि सरकार को भी पता है। फिलहाल जो फसलें इन इलाकों में बोई जाती हैं, उनमें बड़े पैमाने पर पानी की जरूरत होती है। लिहाजा, फसलों के डायवर्सिफिकेशन के लिए पॉलिसी स्तर पर सरकार को सहयोग करने की जरूरत है।

तीसरा- कृषि क्षेत्र के तहत बजट की तीसरी प्राथमिकता बागवानी, पशुधन और मछली पालन वाले सेक्टरों को मदद उपलब्ध कराने की होनी चाहिए, क्योंकि लोग अब खानपान में पोषक तत्वों और प्रोटीन वाली चीजों को तवज्जो दे रहे हैं। गरीब बच्चों में मौजूद कुपोषण की समस्या से निपटने की सख्त जरूरत है और उनमें प्रोटीन की खपत को बढ़ाकर इससे निपटा जा सकता है। देश की तकरीबन 70 पर्सेंट आबादी मांसाहारी है और मांस उनके लिए प्रोटीन का सबसे सस्ता साधन है।

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