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Indian Law: पीएम मोदी बोले- नए आपराधिक कानून न्याय पर केंद्रित, पुराने लॉ का सजा पर था ध्यान

Indian Law: मोदी सरकार की ओर से हाल ही में देश से जुड़े तीन अहम कानूनों में बदलाव किए गए हैं। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सदियों पुराने मौजूदा आपराधिक कानूनों के विपरीत तीन नए आपराधिक कानूनों का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर होगा कि नागरिकों को न्याय मिले। पीएम मोदी का कहना है कि पहले, ध्यान सजा और दंडात्मक पहलुओं पर था लेकिन अब ध्यान न्याय सुनिश्चित करने पर है। इसलिए नागरिकों में डर के बजाय आश्वासन की भावना है।

तीन नए आपराधिक कानून

दरअसल, तीन नए आपराधिक कानून शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पारित किए गए थे और 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए। ये कानून, भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023, और भारतीय साक्षी (दूसरा) विधेयक 2023 हैं जो कि डेढ़ सदी पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेगा।

सुधार की आवश्यकता

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में कॉमनवेल्थ लीगल एजुकेशन एसोसिएशन (CLEA) – कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (CASGC) 2024 के उद्घाटन पर पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के मुद्दों को 20वीं सदी के दृष्टिकोण से नहीं निपटा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि कानूनी प्रणालियों को आधुनिक बनाने, प्रणाली को अधिक लचीला और अनुकूलनीय बनाने सहित पुनर्विचार, पुनर्कल्पना और सुधार की आवश्यकता है।

कानूनों का आधुनिकीकरण

पीएम ने कहा कि भारत ने न्यायपालिका में सुधार के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई सुधार किए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इनमें से कुछ कानूनों में लोगों के लिए उत्पीड़न का उपकरण बनने की क्षमता है। इनसे छुटकारा मिलने से जीवन में आसानी और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए कानूनों का आधुनिकीकरण भी कर रहा है।

चुनौतियों के बारे में भी बात

इसे प्रमाणित करने के लिए पीएम मोदी ने हाल के दिनों में अपराध की प्रकृति और दायरे में आमूल-चूल बदलावों पर प्रकाश डाला और देशों भर में अपराधियों के जरिए बनाए गए विशाल नेटवर्क और फंडिंग और संचालन दोनों में नवीनतम तकनीक के उनके उपयोग की ओर इशारा किया। इसके अलावा पीएम ने क्रिप्टोकरेंसी और साइबर खतरों के बढ़ने के कारण आने वाली विधायी चुनौतियों के बारे में भी बात की।

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