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India GDP: वर्ल्ड बैंक ने बढ़ाया भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान, FY24 में 7.5% की दर से बढ़ी इकोनॉमी

वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने वित्त वर्ष 2024 के दौरान भारतीय इकोनॉमी (Indian Economy) की ग्रोथ रेट 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके साथ ही उसने अपने पहले अनुमान में 1.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। दरअसल वर्ल्ड बैंक ने पहले भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) के 6.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। वर्ल्ज बैंक का मौजूदा अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुमानों के काफी करीब, जिसने वित्त वर्ष 2024 के दौरान देश की आर्थिक ग्रोथ 7.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।

हालांकि वर्ल्ड बैंक ने वित्त वर्ष 2025 में भारत की जीडीपी ग्रोथ के थोड़ी धीमी होकर 6.6 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है। यह RBI के जताए अनुमान से कम है। RBI ने वित्त वर्ष 2025 में देश की इकोनॉमी के 7 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान जताया है। RBI ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ के 7.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.8 फीसदी, तीसरी तिमाही में 7 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।

वर्ल्ड बैंक ने साउथ एशिया के ग्रोथ को लेकर जारी अपना हालिया रिपोर्ट में कहा कि, कुल मिलाकर 2024 में साउथ एशिया में ग्रोथ रेट 6.0 प्रतिशत मजबूत होने की उम्मीद है। यह मुख्य तौर पर भारत में मजबूत ग्रोथ और पाकिस्तान व श्रीलंका की इकोनॉमी के काफी हद तक पटरी पर लौटने से संभव होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, साउथ एशिया के अगले 2 सालों तक दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्र बने रहने की उम्मीद है। साल 2025 में उसने साउथ एशिया की ग्रोथ रेट 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

साउथ एशिया के लिए वर्ल्ड बैंक के वाइस-प्रेसिडेंट, मार्टिन रैज़र ने कहा, “साउथ एशिया की ग्रोथ संभावनाएं फिलहाल अच्छी दिख रही हैं। लेकिन इसके सामने नाजुक राजकोषीय स्थिति और बढ़ते जलवायु झटके सहित कई चिंता के विषय भी हैं। ग्रोथ को अधिक लचीला बनाने के लिए, साउथ एशियाई देशों को प्राइवेट इनवेस्टमेंट को बढ़ावा देने और रोजगार ग्रोथ को मजबूत बनाने वाली नीतियां अपनाने की जरूरत है।”

वर्ल्ड बैंक में साउथ एशिया के चीफ इकोनॉमिस्ट, फ्रांजिस्का ओहनसोरगे ने कहा, “साउथ एशिया अभी अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड का पूरा लाभ उठाने में विफल हो रहा है। वह मौका गंवा रहा है।”

उन्होंने कहा कि अगर यह सेक्टर दूसरे उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तरह कामकाजी उम्र वाली आबादी के बड़े हिस्से को नियोजित करता है, तो उसकी उत्पादन क्षमता 16 प्रतिशत बढ़ सकती है।

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