नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए ‘अयोग्य’ ठहराने के फैसले के खिलाफ दायर छह बागी कांग्रेस विधायकों की याचिका पर सुनवाई करने वाला है। इन विधायकों ने हिमाचल प्रदेश में हाल के राज्यसभा चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ करते हुए भाजपा के उम्मीदवार को वोट दिया था। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने पार्टी व्हिप की ‘अवहेलना’ करने के लिए कांग्रेस की याचिका पर छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। पार्टी व्हिप के मुताबिक उन्हें सदन में उपस्थित रहने और बजट के लिए मतदान करने की आवश्यकता थी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ विधानसभा अध्यक्ष के 29 फरवरी के फैसले के खिलाफ याचिका पर 12 मार्च को सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी याचिका में बागी विधायकों ने पठानिया के साथ-साथ राज्य के संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान को भी पक्षकार बनाया है। कांग्रेसी के बागी विधायकों ने 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था, बाद में बजट पर मतदान के दौरान भी अनुपस्थित रहे थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी क्रॉस वोटिंग के कारण राज्यसभा चुनाव हार गए थे। अयोग्य ठहराए गए विधायकों में राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, देविंदर कुमार भुट्टू, रवि ठाकुर और चेतन्य शर्मा शामिल हैं। इन विधायकों की अयोग्यता के बाद सदन की प्रभावी सदस्य संख्या 68 से घटकर 62 हो गई है, जबकि कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 हो गई है।
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