राजनीति

hc on mcd standing committee, स्थायी समिति के चुनाव दोबारा करवाने का मेयर को नहीं है अधिकार: HC – delhi high court sets aside mayors decision for repoll to elect members of mcd standing committee

Share If you like it

नई दिल्ली: एमसीडी की स्थायी समिति का चुनाव फिर से कराने को लेकर मेयर शैली ओबरॉय के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने मेयर के बतौर रिटर्निंग ऑफिसर लिए गए विवादित फैसले को गैरकानूनी ठहराया। जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने बीजेपी पार्षदों- कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिकाएं मंजूर कर लीं, जिन्होंने समिति की छह सीटों पर दोबारा मतदान कराने के मेयर के फैसले को चुनौती दी थी।

हाई कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु

– बीजेपी पार्षदों की याचिका सुनवाई के योग्य है।

– मेयर/रिटर्निंग ऑफिसर का मत को ठुकराना और इसे अमान्य घोषित करना कानूनी नजरिए से गलत था, वो भी तब जब मतों की जांच और कोटा निर्धारण का चरण सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका था।

-मेयर/ आरओ फिर से चुनाव कराने का फैसला नहीं ले सकता था, क्योंकि ऐसा करना मुद्दे से जुड़ी किसी भी अहम सामग्री के मुताबिक नहीं होता। मेयर ने बिना किसी अधिकार के ऐसा फैसला लिया।

-मेयर का दोबारा चुनाव कराने का फैसला लेना उनकी कानून में निहित शक्तियों के दायरे से बाहर था। मौजूदा मामले में ऐसा बिना किसी अधिकार के किया गया।


यह फैसला सुनाए जाने के साथ जस्टिस कौरव ने कहा कि 24 फरवरी 2023 को जारी आदेश को निरस्त किया जाता है। मेयर/आरओ को निर्देश दिया कि वह पंकज लूथरा के पक्ष में दिए गए विवादित मत को वैध मानते हुए फॉर्म नंबर-4 का परिणाम घोषित करें।

किस आधार पर HC इस नतीजे पर पहुंचा

हाई कोर्ट ने पाया कि मौजूदा मामले में लागू डीएमसी एक्ट-1957, रेगुलेशन-1958 और रूल्स-1956 चुनाव प्रक्रिया के मौजूदा चरण में मेयर को ऐसा फैसला लेने का अधिकार नहीं देते। कोर्ट ने कहा कि अगर मतगणना के चरण पर मतपत्र को अस्वीकार करने की अनुमति दी जाती है, तो यह चुनाव की पूरी प्रक्रिया को दूषित कर देगा जो कानून के मुताबिक नहीं होगा। एक बार जांच का चरण पूरा हो जाने के बाद वैध और अमान्य मतपत्रों को अलग कर दिया जाए, तो उन मतपत्रों की फिर से जांच को कानून के तहत मान्य नहीं माना जा सकता।

Source link

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: