उद्योग/व्यापार

Go First एयरलाइन को खरीदने की रेस से पीछे हटे EasyTrip के फाउंडर निशांत पिट्टी, वापस ली अपनी बोली

बंद हो चुकी एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) को खरीदने की रेस से ईजीट्रिप (EasyTrip) पीछे हट गई है। ईजीट्रिप कंपनी के फाउंडर, निशांत पिट्टी (Nishant Pitti) ने शनिवार 25 मई को इसका ऐलान किया और कहा कि इसकी जगह कंपनी अपने मुख्य बिजनेस को अधिक मजूबत बनाने पर नई रणनीति के साथ फोकस कर रही है। पिट्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखे एक पोस्ट में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “हमने अपनी ताकत वाले मुख्य क्षेत्रों पर फोकस बढ़ाने के लिए गोएयर की बोली से हटने का फैसला किया है। हम अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाकर टिकाऊ ग्रोथ और सफलता हासिल करने पर फोकस कर रहे हैं।” निशांत पिट्टी की पोस्ट को आप नीचे देख सकते हैं-

इससे पहले खबर आई थी कि EaseMyTrip के CEO निशांत पिट्टी ने गोफर्स्ट एयरलाइन खरीदने के लिए स्पाइसजेट के चेयरमैन और एमडी अजय सिंह से हाथ मिलाया है। निशांत ने अपनी दूसरी कंपनी, बिजी बी एयरवेज (Busy Bee Airways) के जरिए अजय सिंह के साथ एयरलाइन के लिए बोली लगाई थी। उस समय एक बयान में कहा गया था कि नई एयरलाइन के लिए ऑपरेटिंग पार्टनर के तौर पर काम करेगी जैसे कि जरूरी स्टॉफ मुहैया कराना, सर्विसेज और इंडस्ट्रीज एक्सपर्टाइज।

स्पाइसजेट के सीएमडी अजय सिंह का मानना था कि गो फर्स्ट में अपार संभावनाएं हैं और इसे स्पाइसजेट के साथ मिलाकर फिर से एक्टिव किया जा सकता है, जिससे दोनों एयरलाइंस को फायदा होगा। अजय सिंह का कहना है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अहम स्लॉट, इंटरनेशनल ट्रैफिक राइट्स और 100 से अधिक एयरबस नियो प्लेन्स के ऑर्डर के अलावा गो फर्स्ट एक भरोसेमेंद और वैल्यूएबल ब्रांड है।

Go First ने पिछले साल 3 मई को दाखिल की थी याचिका

गो फर्स्ट ने नकदी की समस्या का हवाला देते हुए पिछले साल 3 मई 2023 को हवाई सेवाएं बंद कर दी थी। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 10 मई को वालंटरी इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन शुरू करने की गो फर्स्ट की याचिका स्वीकार कर ली। गो फर्स्ट की बैंकरप्सी फाइलिंग के मुताबिक, इस पर बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, IDBI बैंक और ड्यूश बैंक का 6521 करोड़ रुपये बकाया है।

इसे खरीदने में अजय सिंह के अलावा शारजाह की स्काई वन और अफ्रीका की सैफरिक इनवेस्टमेंट्स ने दिलचस्पी दिखाई है। हाल ही में NCLT ने इसके रिजॉल्यूश प्रोसेस को 60 दिनों के लिए खिसका दिया। एनसीएलटी ने दूसरी बार इसे आगे खिसकाया था। इससे पहले 23 नवंबर को इसे 90 दिनों के लिए खिसकाया गया था।

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