यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों का कहना है कि 15 लाख से अधिक ग़ाज़ावासी विस्थापित हो गए हैं, 18 अस्पताल बन्द हो गए हैं, और हज़ारों लोग, भय में और लगातार जारी इसराइली बमबारी के साए में जी रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन राहत समन्वयक और मानवीय मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा, “हताहतों की संख्या बढ़ती जा रही है, कथित तौर पर 11,000 से अधिक लोग मारे गए हैं – उनमें से अधिकांश बच्चे और महिलाएँ हैं.”
उन्होंने कहा, “हालाँकि, वास्तविक कुल संख्या बहुत अधिक होने की सम्भावना है क्योंकि ग़ाज़ा में संचार नैटवर्क ध्वस्त होने के कारण, पाँच दिनों से नवीनतम जानकारी उपलब्ध नहीं हुई है.”
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने आगे कहा कि पूरे ग़ाज़ा में, विशेष रूप से उत्तरी इलाक़े में, भोजन और पानी की आपूर्ति, ख़तरनाक रूप से कम चल रही है, और ईंधन की कमी का मतलब है कि संचार और पानी के परिशोधन जैसी आवश्यक सेवाएँ, निरन्तर विफल होती रही हैं.
बन्धकों को मुक्त किया जाए
उन्होंने कहा कि सीमा पार, इसराइल में आम लोग गहरे दर्द से गुज़र रहे हैं क्योंकि वे 1,200 लोगों की क्रूर, अमानवीय हत्या पर शोक सन्तप्त हैं.
मार्टिन ग्रिफ़ित्स ने ज़ोर देकर कहा कि लगभग 240 बन्धकों – जिनमें शिशुओं से लेकर वृद्धजन तक शामिल हैं – को तुरन्त और बिना किसी शर्त के रिहा किया जाना चाहिए.
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने प्रभावी मानवीय सहायता प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक आवश्यकताओं को निर्धारित करने वाली संयुक्त राष्ट्र की 10-सूत्रीय योजना को दोहराया.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इन उद्देश्यों को हासिल करने में मदद करने का आहवान किया.
बुनियादी ज़रूरतें
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने ज़ोर देकर कहा, “हम चांद नहीं मांग रहे हैं. हम नागरिक आबादी की आवश्यक ज़रूरतों को पूरा करने और इस संकट को रोकने के लिए, आवश्यक बुनियादी उपायों की मांग कर रहे हैं.”
उन्होंने निष्कर्षतः चेतावनी दी कि ग़ाज़ा में स्थिति जितनी गम्भीर है, “यह उससे भी बदतर हो सकती है.”
उन्होंने कहा, “अगर हम अब कार्रवाई नहीं करते हैं, तो यह एक ऐसा टकराव है जो इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र के अन्य हिस्सों और उससे आगे तक फैल सकता है, और इस क्षेत्र को और भी विनाशकारी परिणामों के साथ आग में झोंक सकता है.”
