इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रतिनिधि डॉक्टर रिचर्ड पीपरकॉर्न ने कहा है, “हम जो कुछ जानते हैं वो ये है कि स्वास्थ्य व्यवस्था अपने घुटनों पर आ गई है.”
उन्होंने ये बात, 7 अक्टूबर को हमास द्वारा, इसराइल के दक्षिणी हिस्से में किए गए हमले और उसके बाद, ग़ाज़ा में इसराइली सेना की भीषण बमबारी के सन्दर्भ में कही है.
हमास के हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे, और उसके बाद ग़ाज़ा में इसराइली बमबारी व ज़मीनी युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या 11 हज़ार से अधिक बताई गई है.
‘अन्तहीन ज़रूरत’
डॉक्टर रिचर्ड पीपरकॉर्न ने, येरूशेलम से ज़ूम के ज़रिए, जिनीवा में पत्रकारों को ताज़ा जानकारी देते हुए बताया कि 72 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से, 47 केन्द्र अब काम नहीं कर रहे हैं और अन्य केन्द्र भी आंशिक रूप से ही काम कर पा रहे हैं.
साथ ही, लगभग 75 प्रतिशत अस्पताल (35 या 36), भी अब ठप हो चुके हैं.
उन्होंने कहा, “इस तरह स्पष्ट है कि इस अन्तहीन ज़रूरत के लिए, पर्याप्त सहायता उपलब्ध नहीं है.”
ये घटनाक्रम इस सन्दर्भ में भी अहम है कि फ़लस्तीनी शरणार्थियों की सहायता के लिए यूएन एजेंसी – UNRWA ने गुरूवार को कहा था कि ग़ाज़ा में संचार व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई थी क्योंकि टेलीकॉम कम्पनियों के पास, अपने जैनरेटर चलाने के लिए, बिल्कुल भी ईंधन नहीं बचा था.
एजेंसी ने कहा था कि संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप हो जाने से, मानवीय सहायता आपूर्ति के समन्वय सम्बन्धी गतिविधियाँ, शुक्रवार को बाधित होने की सम्भावना थी.
बचाव टीमें बाधित
डॉक्टर रिचर्ड पीपरकॉर्न ने कहा कि मौजूदा युद्ध भड़कने से पहले, ग़ाज़ा के लोगों को, 3,500 अस्पताल बिस्तर उपलब्ध थे. आज उपलब्ध अस्पताल बिस्तरों की संख्या, अनुमानतः केवल 1,400 बची है, जबकि वास्तविक ज़रूरत 5,000 से भी अधिक है.
उन्होंने बताया कि इस बीच ग़ाज़ा सिटी में, “सक्रिय ज़मीनी युद्ध” के साथ-साथ, “ईंधन के अभाव के कारण, अनेक इलाक़ों में बचाव टीमों और ऐम्बुलेंसों का संचालन ठप हो गया है.”
संयुक्त राष्ट्र की आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA ने गुरूवार शाम को ख़बर दी थी कि उससे पिछले 24 घंटों के दौरान, “भीषण हवाई हमले, बमबारी और युद्ध” देखे गए थे.
