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FY24 में FPI ने भारतीय शेयरों में लगाए ₹2 लाख करोड़, बॉन्ड मार्केट में कितना रहा निवेश

FPI Investment in FY24: विदेशी निवेशकों (Foreign Portfolio Investors) ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय शेयर बाजार में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। देश के मजबूत आर्थिक फंडामेंटल्स की वजह से पैदा हुए आशावाद ने विदेशी निवेशकों को एक बार फिर घरेलू बाजार में खींचा है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की ​एक रिपोर्ट के मुताबिक, मजार्स इन इंडिया के मैनेजिंग पार्टनर भारत धवन ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्वानुमान सर्तकता के साथ आशावादी है। प्रगतिशील नीतिगत सुधारों, आर्थिक स्थिरता और आकर्षक निवेश अवसरों के चलते FPI की ओर से निवेश जारी रहने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, हम वैश्विक भू-राजनीतिक प्रभाव को लेकर सचेत हैं, जिनके चलते बीच-बीच में अस्थिरता आ सकती है। लेकिन हम बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने में स्ट्रैटेजिक प्लानिंग और तत्परता के महत्व पर जोर देते हैं।” विंडमिल कैपिटल में स्मॉलकेस मैनेजर और सीनियर डायरेक्टर नवीन केआर ने कहा कि FPI के नजरिये से वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आउटलुक मजबूत बना हुआ है।

लगातार दो वित्त वर्षों से थे नेट सेलर

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2023-24 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में लगभग 2.08 लाख करोड़ रुपये और डेट या बॉन्ड बाजार में 1.2 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। उन्होंने कुल मिलाकर पूंजी बाजार में 3.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया। पिछले दो वित्त वर्षों में शेयरों से शुद्ध निकासी के बाद एफपीआई की इस वित्त वर्ष में जोरदार वापसी देखने को मिली है।

वित्त वर्ष 2022-23 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 37,632 करोड़ रुपये निकाले थे। इसके पीछे वजह रही थी वैश्विक तौर पर केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी। वित्त वर्ष 2021-22 में एफपीआई ने 1.4 लाख करोड़ रुपये शेयरों से निकाले थे। वहीं वित्त वर्ष 2020-2021 में उन्होंने 2.74 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया था। भारत के बॉन्ड/डेट मार्केट से वित्त वर्ष 2022-23 में एफपीआई ने 8,938 करोड़ रुपये निकाले थे।

इन फैक्टर्स से FPI फ्लो रहा पॉजिटिव

मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित बाजारों में महंगाई और ब्याज दर सिनेरियो, करेंसी मूवमेंट, कच्चे तेल की कीमत, भू-राजनीतिक परिदृश्य और घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती जैसे फैक्टर्स से एफपीआई फ्लो सकारात्मक रहा। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के बीच भारत की अर्थव्यवस्था अधिक मजबूत और स्थिर रही, जिससे विदेशी निवेशक आकर्षित हुए।

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