उद्योग/व्यापार

FY24 में शेयर बाजार ने दिया ब्लॉकबस्टर रिटर्न, क्या FY25 में फिर से दिखेगी वही तेजी?

भारतीय शेयर बाजार के लिए वित्त वर्ष 2024 एक धमाकेदार साल रहा। बाजार के सभी सेगमेंट में इस दौरान चौतरफा रैली देखने को मिली। ब्लूचिप इंडेक्स निफ्टी में लगभग 30 प्रतिशत की तेजी आई। वहीं निफ्टी मिडकैप-100 और निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स ने क्रमश: 60 प्रतिशत और 70 प्रतिशत का भारी रिटर्न दिया। यहां तक कि अपेक्षाकृत शांत माने जाने ब्लूचिप शेयरों में भी व्यापक रैली दिखी और निफ्टी के 50 में से 47 शेयरों ने वित्त वर्ष के दौरान 25 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया है। यहां तक कि ऑटो, रियल्टी और पीएसयू बैंक सेक्टर की कई ब्लूचिप कंपनियों ने इस वित्त वर्ष के दौरान 140 प्रतिशत का मल्टीबैगर रिटर्न भी दिया।

वित्त वर्ष 2024 के इस शानदार रैली के पीछे कई कारण रहे। लार्जकैप शेयरों में जहां विदेशी संस्थागत निवेशकों की वापसी की उम्मीद से सेंटीमेंट मजबूत हुआ। वहीं मिड और स्मॉल-कैप शेयरों को रिकॉर्ड-कम थोक महंगाई से लाभ हुआ। लेकिन क्या वित्त वर्ष 2025 में भी बाजार में ऐसी ही रैली देखने को मिल सकती है?

FY24 में तेजी के कारण

वित्त वर्ष 2024 की पहली और तीसरी तिमाही में शेयर बाजार को संस्थागत निवेशकों से सपोर्ट मिला। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों की बढ़ोतरी पर रोक लगाए जाने की उम्मीद से FII ने पहली तिमाही में बाजार में खूब पैसे डाले, जबकि DII अनुपस्थित रहे। वहीं म्यूचुअल फंड में लगातार बढ़ते फ्लो से उत्साहित होकर, DII तीसरी तिमाही में बचाव में आए और इस दौरान FII अनुपस्थित रहे। दूसरी तिमाही में संस्थागत निवेशकों की ओर से निवेश शुद्ध रूप से शून्य था। इसी ट्रेंड के चलते, निफ्टी 50 ने Q1 और Q3 प्रत्येक में 11-12 प्रतिशत रिटर्न दिया, जबकि Q2 में लगभग सपाट रहा।

चौथी तिमाही एक अपवाद था, जहां FII लगातार बाजार से पैसे खींच रहे थे और DII पैसे लगा रहे थे। FII और DII के बीच इस धक्का-मुक्की ने बड़ी अस्थिरता पैदा कर दी, जिसने रिेटेल निवेशकों को डरा दिया था। चौथी तिमाही में निफ्टी 50 की औसत कारोबारी रेंज FY24 की पहली तीन तिमाहियों में देखी गई तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक थी। वोलैटिलिटी इंडेक्स भी बढ़कर 16 पर पहुंच गया था, जो तीसरी तिमाही में 12 के आस पास था।

मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में तेजी का क्या रहा कारण?

कच्चे तेल और कमोडिटी की आसमान छूती कीमतों के चलते, भारत में थोक महंगाई वित्त वर्ष 2023 में चरम पर पहुंच गई थी। इसने सभी मैन्युफैक्चरर्स का जीवन कठिन बना दिया था। खासतौर से छोटे बिजनेसों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसलिए, वित्त वर्ष 2023 में मिड- और स्मॉल-कैप सूचकांक सपाट रहे। लेकिन FY24 में यह ट्रेंड पलट गया। थोक महंगाई दर मई 2022 में लगभग 16% के शिखर पर थी, जो अप्रैल 2023 तक घटकर नेगेटिव जोन में चली गई।

असल में WPI महंगाई दर पूरे वित्त वर्ष 2024 में सपाट से नेगेटिव जोन के बीच बनी रही। इससे छोटे बिजनेसों की किस्मत बदल गई। इसके चलते जो मिड और स्मॉलकैप स्टॉक वित्त वर्ष 2023 में सपाट रहे थे, वहीं वित्त वर्ष 2024 में तेजी से बढ़ गए।

अब वित्त वर्ष 2025 से क्या है उम्मीदें?

वित्त वर्ष 2024 के दौरान FII ने भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 14,000 करोड़ रुपये निकाले। इसे न्यूट्रल माना जा सकता है- यानी FII भारतीय बाजार को लेकर न तो बुलिश हैं और न ही बेयरिश। इस बीच अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने इस साल 3 बार ब्याज दरों में कटौती की बात दोहराई है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों की ओर ब्याज दरें कम करने से भारतीय बाजारों में निवेश आने की उम्मीद बढ़ जाएगी। इस सबको देखते हुए यह उम्मीद की जा सकती है कि FY25 में FII भारतीय शेयरों के शुद्ध खरीदार बन जाएंगे।

हालांकि मौजूदा रैली का दायरा कम होने से संकेत मिलता है कि बाजार का मोमेंटम धीमा हो रही है। वैल्यूएशन भी अपने चरम पर है और कमाई अभी भी रफ्तार नहीं पकड़ रही है। ग्रामीण इलाकों में मांग और प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर में अभी भी बड़ा उछाल नहीं देखने को मिला है। इससे वित्त वर्ष 2025 में म्यूचुअल फंडों का फ्लो कम हो सकता है। म्यूचुअल फंडों का फ्लो कम रहने से बाजार में DII की भागीदारी कम हो सकती है।

वहीं मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की बात करें तो, थोक महंगाई दर के वित्त वर्ष 2025 में तेजी पकड़ने की उम्मीद है। इसके अलावा SEBI चीफ की ओर से इस सेगमेंट में बुलबुला बनने की चेतावनी से भी मिडकैप और स्मॉलकैप में आने वाला निवेश कम हो सकता है। ऐसे में वित्त वर्ष 2024 की शानदार रैली के उलट, वित्त वर्ष 2025 के दौरान मिडकैप औक स्मॉलकैप शेयरों का रिटर्न कम रहने की उम्मीद है।

(मनीकंट्रोल के लिए यह लेख फंड मैनेजर अनन्या रॉय ने लिखा है। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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