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FAO: एशिया-प्रशान्त में 37 करोड़ लोगों को स्वस्थ आहार मयस्सर नहीं – महिलाओं की स्थिति बदतर

FAO: एशिया-प्रशान्त में 37 करोड़ लोगों को स्वस्थ आहार मयस्सर नहीं – महिलाओं की स्थिति बदतर

कोविड-19 महामारी और भोजन, चारा, ईंधन, उर्वरक और वित्त – यानि “5Fs” संकट के दौरान – इस क्षेत्र में भयावह आँकड़े सामने आए. यह क्षेत्र अब भी उनके दीर्घकालिक प्रभावों से पीड़ित है. 

नवीनतम आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि 37.07 करोड़ कुपोषित लोगों के साथ, यह क्षेत्र वैश्विक कुपोषित संख्या के आधे भाग का प्रतिनिधित्व करता है. 

यही नहीं, दुनिया भर में गम्भीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित आधे से अधिक लोग एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में हैं, जहाँ पुरुषों की तुलना में महिलाएँ अधिक खाद्य असुरक्षित हैं. 

दरअसल, प्रजनन आयु की महिलाओं में एनीमिया की दर, विश्व स्वास्थ्य सभा के वैश्विक पोषण लक्ष्यों से नीचे है. इसी तरह 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन, कमज़ोरी और अधिक वज़न की दर भी व्यापक है.

लाखों लोग कुपोषण के शिकार – पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक

Asia and the Pacific Regional Overview of Food Security and Nutrition 2023 –  Statistics and Trends नामक इस रिपोर्ट  से पता चलता है कि स्वस्थ आहार की बढ़ती लागत से समस्याएँ और बढ़ रही हैं. 

एफ़एओ और संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, क्रय शक्ति समता (पीपीपी) में औसतन 5.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अनुमान है कि क्षेत्र में 23.28 करोड़ लोग स्वस्थ आहार की लागत वहन करने में असमर्थ हैं. 

हालाँकि क्षेत्र के विभिन्न देशों में अल्पपोषण के आँकड़े अलग-अलग हैं, विशेष रूप से दक्षिणी एशिया में अल्पपोषण की व्यापकता सर्वाधिक यानि 15.6 प्रतिशत (31.36 करोड़) है. 

वहीं इसी उपक्षेत्र में 80.9 करोड़ से अधिक लोग या तो मध्यम या गम्भीर रूप से खाद्य असुरक्षित हैं. यह पूरे एशिया-प्रशान्त के कुल अल्पपोषित लोगों का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा है.

दक्षिण-पश्चिम प्रशान्त द्वीप समूह में, प्रति व्यक्ति स्थिति और भी बदतर है, अनुमानतः 20.9 प्रतिशत, या पाँच में से एक निवासी कुपोषित है.

पूर्वी एशिया को छोड़कर, बाकि हिस्सों में कुपोषण के मामले में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति बदतर है. लगभग दस में से एक महिला गम्भीर खाद्य असुरक्षा से जूझ रही है, जबकि लगभग चार में से एक महिला को कम से कम मामूली रूप से खाद्य असुरक्षित माना जाता है.

संक्षेप में, जबकि कुल संख्या महामारी के वर्षों की तुलना में थोड़ी बेहतर हुई है, लेकिन फिर भी आँकड़े संकेत देते हैं कि ये क्षेत्र 2030 तक भुखमरी को ख़त्म करने के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी2) को पूरा करने की राह से बहुत दूर है. 

कार्रवाई का आहवान

सहायक महानिदेशक और एफ़एओ में एशिया व प्रशान्त के क्षेत्रीय प्रतिनिधि जोंग-जिन किम ने कहा, “यह रिपोर्ट किसी भी तरह से विस्तृत नहीं है. हालाँकि, प्रस्तुत तथ्य विचार-विमर्श के लिए रास्ता खोलते हैं. लेकिन इससे दुनिया के इस हिस्से में रहने वाले खाद्य-असुरक्षित और पोषण की दृष्टि से कमज़ोर लोगों की मेज़ पर भोजन नहीं आ जाएगा.”

उन्होंने कहा, “स्पष्ट रूप से, अगर हमें स्थिति को बदलना है और सतत विकास लक्ष्यों के लिए 2030 एजेंडा को पूरा करने के लिए देशों को वापस पटरी पर लाना है, तो कृषि-खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन की दिशा में पूरी सरकार को तत्काल, उत्कृष्ट समन्वय व एकीकृत कार्रवाई एवं निवेश करना ज़रूरी होगा.”

इस तरह के प्रयास किर्गिस्तान, सर्बिया, रवांडा और युगांडा में पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के लिए यूनेप, एफ़एओ में माउंटेन पार्टनरशिप सचिवालय और कार्पेथियन कन्वेंशन की बहु-देशीय प्रमुख पहल का हिस्सा हैं.

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