यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के मुताबिक रविवार को जी4 भू-चुंबकीय तूफान का प्रभाव पृथ्वी पर पर नजर आया है। भू-चुंबकीय तूफान की वजह से “पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बड़ी गड़बड़ी” के संकेत मिले हैं। एनओएए के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने शनिवार को एक जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म वॉच जारी की थी। इसमें कहा गया था कि एक कोरोनल मास इजेक्शन का पता चला है। एनओएए के स्पेस सेंटर वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने पावर ग्रिड ऑपरेटरों को प्रभाव के लिए तैयार रहने और किसी भी तरह की वोल्टेज से जुड़ी समस्याओं को लेकर तैयार रहने को कहा था। जी4 श्रेणी के भू-चुंबकीय तूफान की गंभीरता को ऐसे भी समझा जा सकता है कि यह पावर ग्रिडों में वोल्टेज नियंत्रण से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है।
एनओएए ने लोगों से की थी ये अपील
नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से शनिवार को कहा गया था कि, लोगों को इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है। एनओएए ने अपडेट के लिए लोगों को वेबपेज पर जाकर सूचित रहने को भी कहा था। जी4 भू-चुंबकीय तूफान की वजह से ध्रुवीय क्षेत्रों की रोशनी निचले आक्षांशों तक नजर आई, हालांकि ये कम ज्यादा जरूर होती रही। एनओएए की तरफ से कहा गया है कि 27 मार्च 2024 तक इसका प्रभाव कम होने लगेगा। तो चलिए आपको बताते हैं कि भू-चुंबकीय तूफान है क्या और ये कैसे हमारी पृथ्वी को प्रभावित करता है।
भू-चुंबकीय तूफान
भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में एक गड़बड़ी है। इसे एक से पांच के पैमाने पर आंका गया है, जिसमें एक सबसे कमजोर और पांच सबसे मजबूत है। भू-चुंबकीय तूफान सौर उत्सर्जन के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाली गड़बड़ी है। कोरोनल मास इजेक्शन (CME) या तेज गति वाली सौर धारा पृथ्वी पर आते ही मैग्नेटोस्फीयर से टकरा जाती है। पृथ्वी का मैग्नेटोस्फीयर इसके चुंबकीय क्षेत्र की वजह से बना है और यह सूर्य की तरफ से उत्सर्जित कणों से हमारी रक्षा करता है। कोरोनल मास इजेक्शन या उच्च गति वाली सौर धारा जब पृथ्वी पर आती है तो धरती के मैग्नेटोस्फीयर में प्रवेश करती है। नतीजतन अत्यधिक ऊर्जावान सौर धारा के कण नीचे प्रवाहित हो सकते हैं और ध्रुवों के ऊपर हमारे वातावरण से टकरा सकते हैं।
भू-चुंबकीय तूफान का प्रभाव
भू-चुंबकीय तूफान जब पृथ्वी से टकराता है तो इसकी वजह से उपग्रहों में इलेक्ट्रॉनिक्स को नुकसान पहुंचा सकता है। धरती पर रेडियो संचार नेटवर्क बाधित हो सकता है। जीपीएस सिग्नल और बिजली ग्रिड को प्रभावित कर सकता है। भू-चुंबकीय तूफानों के कारण वोल्टेज में व्यवधान भी हो सकता है। भू-चुंबकीय तूफान की वजह से स्पेसवॉक के समय अंतरिक्ष यात्रियों का सौर विकिरण के संपर्क में आने का जोखिम बना रहता है।
भू-चुंबकीय तूफान के नुकसान
गौरतलब है कि, 1859 का भू-चुंबकीय तूफान जिसे कैरिंगटन तूफान भी कहा जाता है अब तक दर्ज किया गया सबसे बड़ा भू-चुंबकीय तूफान था। इसकी वजह से पूरी दुनिया में टेलीग्राफ सेवाएं बाधित हो गई थी। औरोरा इतना चमकीला और शक्तिशाली था कि वो बहामास के दक्षिण में दिखाई दे रहा था। फरवरी 2011 में, एक तूफान ने कुछ समय के लिए जीपीएस सिग्नलों को बाधित कर दिया था।
तूफान की भविष्यवाणी
यहां ये भी बता दें कि भू-चुंबकीय तूफान और सौर गतिविधियों के बारे में पता लगाते के लिए सौर भौतिक विज्ञानी और अन्य वैज्ञानिक सामान्य रूप से उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर्स का उपयोग करते हैं। ये मशनें तूफान के आगमन का समय और उसकी गति के बारे में जानकारी देने में सक्षम हैं। हालांकि तूफान की संरचना और ओरिएनटेशन का अब भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
यह भी पढ़ें: