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equal inheritance rights muslim women, मुस्लिम महिला को संपत्ति बंटवारे में पुरुषों की तुलना में आधा हिस्सा क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब – muslim women equal right in property pil in supreme court

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नई दिल्ली: शरीयत कानून के तहत पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे में मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में बुशरा अली नामक महिला ने अर्जी दाखिल की है और कहा है कि संपत्ति के बंटवारे में उन्हें पुरुष सदस्य की तुलना में आधी हिस्सेदारी मिली है और यह भेदभाव है। याचिकाकर्ता महिला की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्हें पैतृक संपत्ति में पुरुष सदस्यों से आधी हिस्सेदारी मिली है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत कानून) की धारा-2 को चुनौती दी गई है और कहा गया है कि इसके तहत मुस्लिम महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में पुरुषों की तुलना में आधी हिस्सेदारी मिलती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद-15 का उल्लंघन है। अनुच्छेद-15 कानून के समक्ष जाति, धर्म , लिंग आदि के आधार पर भेदभाव को रोकता है। साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा कि यह कानून (शरीयत) पूर्व संवैधानिक विधान है जो संविधान के अनुच्छेद-13 (1) के तहत आता है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि क्या मुस्लिम पर्नसल लॉ (शरीयत) एप्लिकेशन एक्ट 1937 की धारा-2 के तहत पुरुषों की तुलना में महिला को संपत्ति में आधा हिस्सा दिया जाना यानी समान हिस्सा न दिया जाना अनुच्छेद-15 और अनुच्छेद-13 का उल्लंघन नहीं है? गौरतलब है कि अनुच्छेद-13 में प्रावधान है कि भारत में संविधान से पहले जो भी कानून थे वह संविधान के दायरे में होगा और अगर वह मौलिक अधिकार का हनन करता है तो वह कानून अमान्य होगा।

क्या कहता है उत्तराधिकार अधिनियम

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम
कानूनी जानकार मुरारी तिवारी बताते हैं कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध पर लागू है। इसके तहत अगर हिंदू (हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध) की मौत होती है और उसने अपनी संपत्ति की वसीयत नहीं की है तो संपत्ति के कानूनी उत्तराधिकारी इस क्रम में होंगे। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत क्लास वन के उत्तराधिकारी का पहला हक होगा। अगर उनमें कोई नहीं है तो क्लास 2 के उत्तराधिकारियों का अधिकार बनेगा। क्लास 1 उत्तराधिकारी या वारिस में बेटा, बेटी, विधवा मां, पहले मर चुके बेटे के संतान, पहले मर चुकी बेटी के संतान व बेटे की विधवा (जो भी हैं उनमें बराबर बराबर बटेंगा संपत्ति का हिस्सा) को हिस्सा मिलेगा।

मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत उत्तराधिकार
एडवोकेट सलीम अहमद खान बताते हैं कि मुस्लिम में शरीयत एक्ट 1937 के तहत उत्तराधिकार संबंधित विवाद का निपटारा होता है।मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत प्रावधान है कि संपत्ति का बंटवारा या पैसे का बंटवारा पर्सनल लॉ के तहत तय उत्तराधिकारियों में होता है। मसलन किसी शख्स की मौत हो जाए तो उसके संपत्ति में उनके बेटे, बेटी, विधवा और माता पिता सबका हिस्सा वर्णित किया गया है। बेटे से आधी बेटी को देने का प्रावधान है। पति की मौत के बाद विधवा को संपत्ति का छठवां हिस्सा दिया जाता है। माता-पिता के लिए भी हिस्सेदारी तय की गई है।

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