Electoral Bonds Case: चुनावी बॉन्ड मामले में देश में घमासान देखने को मिल रहा है। इस बीच पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने चुनावी बॉन्ड मामले में स्टेट ऑफ बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के एक्शन को “पूरी तरह से गैरकानूनी और अप्रत्याशित” बताया है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गर्ग ने कहा कि बैंक को चुनावी बॉन्ड के यूनिक अल्फा-न्यूमेरिक नंबरों को रिकॉर्ड नहीं करना चाहिए था।
उल्लंघन किया
गर्ग ने कहा, “ऐसा करके उसने (SBI) ने चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 के तहत दानदाताओं से किए गए गुमनामी के वादे का उल्लंघन किया है।” बांड नंबरों से बॉन्ड खरीदने वालों और उन्हें भुनाने वाले राजनीतिक दलों का मिलान करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड की अल्फान्यूमेरिक संख्या को रिकॉर्ड करके एसबीआई ने “उस योजना की मूल विशेषता पर प्रहार किया है जो 2018 में सरकार के जरिए गुमनाम राजनीतिक दान को सक्षम करने के लिए लाई गई थी।”
गर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड मामले के संबंध में एसबीआई के जरिए दायर पहला हलफनामा “स्पष्ट रूप से गलत” था। उन्होंने एसबीआई के पहले हलफनामे में यह कहते हुए प्रहार किया कि दानकर्ताओं और पार्टियों की जानकारी भौतिक रूप में दो जगह में रखे गए थे और इसका मिलान करने में तीन महीने लगेंगे।
डिजिटल रूप में दर्ज
गर्ग ने पूछा, “लेकिन बाद की घटनाओं से पता चला कि उन्होंने जानकारी को डिजिटल रूप में दर्ज किया था। उनका पहला हलफनामा लोकसभा चुनावों से परे डेटा के खुलासे को आगे बढ़ाने की इच्छा से प्रेरित प्रतीत होता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से झूठा हलफनामा क्यों दाखिल किया।”
अल्फा-न्यूमेरिक नंबर
गर्ग का बयान चुनाव आयोग के जरिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर SBI के जरिए पेश किए गए संपूर्ण चुनावी बॉन्ड डेटा प्रकाशित करने के कुछ दिनों बाद आया है। ताजा डेटा में अल्फा-न्यूमेरिक नंबर शामिल हैं। भारतीय स्टेट बैंक चुनावी बॉन्ड बेचने और भुनाने के लिए अधिकृत एकमात्र बैंक था। बॉन्ड पहली बार मार्च 2018 में जारी किए गए थे और 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के जरिए अमान्य घोषित किए जाने तक बेचे जा रहे थे।