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Electoral Bond Data: आ गया इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा, कई बड़ी कंपनियों और पार्टियों के नाम आए सामने, EC ने किया जारी

Electoral Bond Data: आ गया इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा, कई बड़ी कंपनियों और पार्टियों के नाम आए सामने, EC ने किया जारी

Electoral Bond Data: चुनाव आयोग (ECI) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (SC) के आदेश का पालन करते हुए, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की तरफ से साझा किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) डेटा को अपनी वेबसाइट पर जारी कर दिया। खास बात ये है कि ये डेटा शीर्ष अदालत की समय सीमा से एक दिन पहले प्रकाशित किया गया था। पोल पैनल को SBI से मिला, 15 मार्च शाम 5 बजे तक डेटा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर पब्लिश करने के लिए कहा गया था।

चुनाव आयोग के मुताबिक, डेटा को दो सेट में शेयर किया गया है। डेटा के पहले सेट में बॉन्ड खरीदार का नाम और बांड की कीमत के बारे में बताया गया है, जबकि दूसरे सेट में राजनीतिक दलों और उनकी ओर से भुनाए गए बॉन्ड की कीमत के बारे में बताया गया है।

हालांकि, डेटा में बॉन्ड खरीदने वाले और लाभार्थी के बीच कोई संबंध नहीं दिखाया गया है। इसलिए ये नहीं कहा जा सकता है कि किस खरीदार ने किस राजनीतिक पार्टी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कितना चंदा दिया।

एक बयान में, पोल पैनल ने कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद SBI से मिले डेटा को “ज्यों का त्यों” अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है।

इन पार्टियों और बड़ी कंपनियों का नाम

आयोग की तरफ से अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड के खरीदारों में Grasim Industries, Megha Engineering, Piramal Enterprises, Torrent Power, Bharti Airtel, DLF Commercial Developers, Vedanta Ltd., Apollo Tyres, Lakshmi Mittal, Edelweiss, PVR, Keventer, Sula Wine, Welspun, और Sun Pharma जैसी कई दिग्गज कंपनियों के नाम हैं।

लिस्ट के मुताबिक, इलेक्टोरल बॉन्ड कैश करने वाली पार्टियों में BJP, कांग्रेस, AIDMK, BRS, शिवसेना, TDP, YSRCP, DMK, JDS, NCP, तृणमूल कांग्रेस (TMC), JDU, RJD, AAP और समाजवादी पार्टी शामिल हैं।

डेटा पेश करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए, SBI ने मंगलवार शाम को उन संस्थाओं की डिटेल पेश की थी, जिन्होंने अब रद्द किए जा चुके चुनावी बांड खरीदे थे और राजनीतिक दलों ने उन्हें प्राप्त किया था।

15 फरवरी, 2024 को एक ऐतिहासिक फैसले में, पांच-जजों की संविधान पीठ ने केंद्र की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था। इसके जरिए गुमनाम तरीके से राजनीतिक फंडिंग की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में इसे “असंवैधानिक” कहा था और चुनाव आयोग को दान देने वालों, उनके की ओर से दान की गई रकम और उसे लेने वालों का खुलासा करने का आदेश दिया था।

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