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Delhi Excise Scam: मनीष सिसोदिया और संजय की बढ़ी न्यायिक हिरासत, लेकिन इस आरोपी की जमानत पर फैसला सुरक्षित

Delhi Excise Scam: आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं संजय सिंह और मनीष सिसोदिया को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में कोई राहत नहीं मिली है और दोनों अभी न्यायिक हिरासत में ही रहेंगे। दिल्ली की एक अदालत ने आज 20 जनवरी को कथित एक्साइज स्कैम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोनों की न्यायिक हिरासत 3 फरवरी तक बढ़ा दी है। इसके अलावा कोर्ट ने संजय सिंह के सहयोगी और मामले में आरोपी सर्वेश मिश्रा की जमानत याचिका पर भी अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। संजय सिंह और मनीष सिसोदिया को इस मामले में न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने से पहले तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया था। अधिकारियों ने कोर्ट में कहा था कि गणतंत्र दिवस की तैयारियों के चलते पुलिस कर्मियों की कमी और सिक्योरिटी से जुड़े वजहों से आरोपियों को कोर्ट में नहीं पेश किया जा सकता तो वीडियो कांफ्रेंसिंग का सहारा लेना पड़ा।

एक आरोपी की जमानत याचिका को लेकर क्या है रुख

स्पेशल जज एमके नागपाल ने सर्वेश मिश्रा की जमानत याचिका पर आदेश 24 जनवरी के लिए सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने उन्हें पेश होने के लिए समन जारी किया था जिसके अनुपालन में उन्होंने अदालत में पेश होने के बाद याचिका दायर की थी। जज ने उनके और संजय सिंह के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के बाद सर्वेश को समन भेजा था। अपनी याचिका में सर्वेश ने दावा किया था कि चूंकि ईडी की जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था तो जांच पूरी होने पर पहले से ही दाखिल हो चुके चार्ज शीट के बाद जेल भेजने से कोई उद्देश्य नहीं पूरा होगा। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने उनकी जमानत याचिका पर बहस के दौरान विरोध नहीं किया। कोर्ड ने सर्वेश की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है और एक और आरोपी अमित अरोड़ा की जमानत याचिका पर फैसला 24 जनवरी 2024 के लिए सुरक्षित कर लिया है।

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संजय सिंह इस मामले में हुए थे गिरफ्तार

कोर्ट ने पिछले साल 19 दिसंबर को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और उनके सहयोगी मिश्रा के खिलाफ दायर एक शिकायत पर संज्ञान लिया। संजय सिंह को पिछले साल 4 अक्टूबर को ईडी ने हिरासत में लिया था। ईडी ने पहले अदालत को बताया था कि संजय सिंह दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 में लिक्वर ग्रुप से रिश्वत वसूलने की साजिश का हिस्सा थे। इस आबकारी नीति यानी लिक्वर पॉलिसी को अगस्त 2022 में रद्द कर दिया गया था और दिल्ली के उपराज्यपाल ने बाद में अनियमितताओं के शिकायतों की जांच के लिए सीबीआई को कहा था।

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