विश्व

#CSW68: चिन्ताजनक रुझानों के बीच, महिला अधिकारों की हिफ़ाज़त की पुकार

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए समर्पित महत्वपूर्ण मंच – महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW) के उदघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए, महिलाओं पर युद्धों के असंगत प्रभाव की तरफ़ ज़ोरदार ध्यान आकर्षित किया.

उन्होंने कहा, “दुनिया भर के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में, पुरुषों द्वारा छेड़े गए युद्धों से महिलाएँ और लड़कियाँ सबसे अधिक पीड़ित हो रही हैं,” और तत्काल युद्धविराम और मानवीय सहायता उपलब्ध कराए जाने का आग्रह किया.

उन्होंने ग़ाज़ा की भयावह स्थिति पर ज़ोर दिया, जहाँ इसराइल के हमले में मारे गए 30 हज़ार से अधिक और हज़ारों अन्य घायल हुए लोगों में से दो-तिहाई से अधिक महिलाएँ और लड़कियाँ थीं. 

उन्होंने हिरासत में लिए गए स्थानों, घरों पर छापों और इसराइल के क़ब्जे वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में चौकियों पर, फ़लस्तीनी महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा की चौंकाने वाले मामलों का भी उल्लेख किया.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन पिछले सप्ताह जो रिपोर्ट जारी की, उसमें 7 अक्टूबर को हमास और अन्य सशस्त्र समूहों द्वारा इसराइल में किए गए आतंकी हमलों के दौरान, महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ भयानक यौन हिंसा और यौन उत्पीड़न के संकेतों पर प्रकाश डाला गया है.

एंतोनियो गुटेरश ने अफ़ग़ानिस्तान और सूडान सहित अन्य देशों में, महिलाओं की स्थिति पर भी चिन्ता व्यक्त की.

उन्होंने कहा, “अफ़ग़ानिस्तान में, तालेबान ने महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को दबाने के लिए, 50 से अधिक आदेश जारी किए हैं. सूडान में चल रहे युद्ध के दौरान कथित तौर पर बड़ी संख्या में महिलाओं को बलात्कार और अन्य प्रकार की यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा है,” 

महिला शान्तिरक्षक

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW) की 68वीं बैठक को सम्बोधित करते हुए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, लैंंगिक विभाजन दूर करने के लिए एकजुट होने का आहवान किया.

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देते हुए कहा कि महिलाओं की पूर्ण भागेदारी, शान्ति निर्माण को और अधिक प्रभावी बनाती है,इसके सबूत मौजूद होने के बावजूद, निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या कम हो रही है.

उन्होंने कहा, “तथ्य स्पष्ट हैं: महिलाएँ शान्ति की ओर ले जाती हैं.”

उन्होंने महिला शान्ति निर्माताओं में महिलाओं की भागेदारी और निवेश को बढ़ावा देने के लिए, अधिक धन उपलब्ध कराए जाने और नई नीतियों का आहवान किया.

डिजिटल लैंगिक विभाजन

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने डिजिटल प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से आर्टिफ़िशियल इंटैलिजेंस यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता में, पुरुषों के प्रभुत्व की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए, बढ़ते डिजिटल लैंगिक विभाजन पर भी ज़ोर दिया.

उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि यह समय सरकारों, नागरिक समाज और दुनिया की सिलिकॉन घाटियों के लिए, डिजिटल लैंगिक विभाजन को पाटने के लिए, बड़े प्रयास में शामिल होने का है. 

उन्होंने साथ ही, सभी स्तरों पर डिजिटल प्रौद्योगिकी में महिलाओं की निर्णय लेने वाली भूमिका सुनिश्चित करने की महत्ता को भी रेखांकित किया.

यूएन महासचिव ने, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से लैंगिक समानता के लिए एकजुट होने का आहवान करते हुए कहा कि महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW), एक रूपान्तकारी बदलाव के लिए प्रमुख मंच के रूप में काम करता है.

समान पहुँच की ज़रूरत

यूएन महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने, टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDG) की प्राप्ति के प्रयासों को बिना देरी किए, तेज़ करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और कार्रवाई किए जाने का आहवान किया.

उन्होंने कहा कि चूँकि विश्व इस समय लक्ष्यों, विशेष रूप से अत्यधिक ग़रीबी उन्मूलन (एसडीजी1) के लक्ष्य को प्राप्त करने में पिछड़ रहा है. 

डेनिस फ्रांसिस ने इस सन्दर्भ में एक कठोर वास्तविकता को उजागर करते हुए कहा, “इस सम, हर दस में से एक महिला अत्यधिक ग़रीबी में रहती है – मैं दोहराता हुए कहता हूँ – हर दस में से एक महिला.”

उन्होंने, बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए, संसाधनों तक समान पहुँच सनिश्चित करने वाली और लिंग-उत्तरदायी सामाजिक सुरक्षा नीतियों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

उन्होंने साथ ही, महिलाओं के नेतृत्व और निर्णय लेने की भूमिकाओं में बाधा डालने वाले, लिंग-आधारित भेदभाव को समाप्त करने के उपाय किए जाने का भी आग्रह किया.

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