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COP28: जीवाश्म ईंधन पर सख़्त शब्दावली की मांग

COP28: जीवाश्म ईंधन पर सख़्त शब्दावली की मांग

COP28 की अध्यक्षता कर रहे संयुक्त अरब अमीरात द्वारा तैयार किए गए, 21 पन्नों वाले मसौदे में जीवाश्म ईंधन को ‘चरणबद्ध’ तरीक़े से कम करने या ख़त्म करने का कोई उल्लेख नहीं है. 

इससे पहले सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा था कि यह सम्मेलन की सफलता की कुंजी होगी और इसकी मांग कई देशों ने की थी.

इसके बजाय, परिणाम मसौदे में देशों से “जीवाश्म ईंधन की खपत और उत्पादन को उचित, व्यवस्थित व न्यायसम्मत ढंग से” घटाने का ही उल्लेख है.

संयुक्त राज्य अमेरिका, योरोपीय संघ के देश और लघु द्वीपीय विकासशील देशों के एक समूह ने, नागरिक समाज गुटों के सुर में सुर मिलाकर, इस मसौदे की निन्दा करते हुए कहा कि इसमें तापमान वृद्धि रोकने के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठाए गए हैं.

हालाँकि, यह मसौदे का अन्तिम रूप नहीं है, और COP28 के लिए निर्धारित समापन दिवस यानि मंगलवार को पूरे दिन समझौते की भाषा पर बातचीत जारी रहने की उम्मीद है.

यहाँ उन (मुख्यत: स्वैच्छिक) उपायों पर नज़र डाली गई है, जो इसे वर्तमान मसौदे में शामिल हैं और जो अन्य उससे बाहर हैं:

इसमें क्या शामिल हैं:

1. 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की वैश्विक क्षमता को तीन गुना करना [COP28 से पहले दुनिया के दो सबसे बड़े उत्सर्जकों के बीच हुए समझौते के तहत, अमेरिका और चीन ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए साथ मिलकर काम करने का वादा किया];

2. “कोयले के लगातार उपयोग” को तेज़ी से चरणबद्ध तरीक़े से घटाना और नए लाइसेंसों की संख्या में कटौती करना; और

3. ज़ीरो व निम्न उत्सर्जन प्रौद्योगिकियाँ, जिनमें कार्बन अवशोषण, और उपयोग एवं भंडारण जैसी निष्कासन प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं.

मसौदे में क्या शामिल नहीं किया गया है:

1. जीवाश्म ईंधन की चरणबद्ध समाप्ति;

2. “तेल” और “प्राकृतिक गैस” शब्दों को जगह नहीं मिली.

‘पूर्णत: बाहर’

क्लाइमेट एक्शन नैटवर्क इंटरनेशनल में वैश्विक राजनैतिक रणनीति के प्रमुख, हरजीत सिंह ने यूएन न्यूज़ को बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि नया मसौदा “बेहद ठोस होगा, लेकिन जीवाश्म ईंधन के चरणबद्ध तरीक़े से ख़त्म करने की शब्दावली उसमें से पूरी तरह निकाल दी गई है…नागरिक समाज के रूप में हम इस मसौदे को अस्वीकार करते हैं.”

हरजीत सिंह ने कहा, “इस मसौदे पर बातचीत चलेगी. आइए देखते हैं कि देश इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं.”

उन्होंने कहा कि पिछले दो सप्ताह से संयुक्त अरब अमीरात में चल रहे सम्मेलन में “बाहरी दबाव स्पष्ट था…जोकि जीवाश्म ईंधन उद्योग से आ रहा था.” हमने OPEC को एक पत्र जारी करते देखा है; कैसे [तेल उत्पादक देश] जीवाश्म ईंधन की चरणबद्ध समाप्ति पर किसी भी तरह की शब्दावली के उपयोग के पूरी तरह ख़िलाफ़ हैं; और किस तरह अमीर देश केवल दिखावा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “यह रात लम्बी होने वाली है.”

समोआ के प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण मंत्री और लघु द्वीपीय देशों के गठबन्धन के अध्यक्ष, तोओलेसुलुसुलु सैड्रिक सक्सटर ने यूएन न्यूज़ को बताया: “[मसौदा] यह प्रतिबिम्बित नहीं करता है कि हम यहाँ किस लिए आए हैं, ख़ासतौर पर जीवाश्म ईंधन के चरणबद्ध समाप्ति की शब्दावली. इसमें 1.5 डिग्री [लक्ष्य] भी प्रतिबिम्बित नहीं होता है, जो जीवित रहने के लिए बेहद आवश्यक है.”

लघु द्वीप राष्ट्र नीयू की प्राकृतिक संसाधन मंत्री शेरोन-मोना ऐनु ने अश्रुपूर्ण आँखों से यूएन न्यूज़ को बताया कि इतनी दूर आने और धन न होते हुए भी, दुबई जाने के लिए इतना धन ख़र्च करने के बाद, वो यह देखकर वह हतोत्साहित हो गईं कि मसौदा “हमारे विश्वास के बिल्कुल विपरीत है” और दक्षिण प्रशान्त क्षेत्र के लोगों की स्थिति को प्रतिबिम्बित नहीं करता है.

शेरोन-मोना ऐनु ने कहा, “हम इसके प्रति बेहद संवेदनशील हैं.”

“हमारे द्वीप जलमग्न हैं; हमारे द्वीप डूब रहे हैं… दूसरों को हमारे बारे में सोचना चाहिए. मनुष्य के रूप में दूसरों का कल्याण करना एक नैतिक दायित्व है.”

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