उद्योग/व्यापार

Capital Market में दूसरे दौर के सुधारों पर विचार की जरूरत, इंवेस्टमेंट को लेकर अनुमान लगाने की दरकार

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि बढ़ती अर्थव्यवस्था की जरूरतें पूरी करने के लिए देश को पूंजी बाजार में और सुधार करने की जरूरत है। नागेश्वरन ने उद्योग मंडल सीआईआई के वार्षिक व्यवसाय शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘पूंजी बाजार सुधार पिछले तीन दशकों में प्रौद्योगिकी के सबसे सफल सुधारात्मक कदमों में से एक रहा है। लेकिन हम एक ऐसे बिंदु पर हैं जहां हमें इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। इसीलिए पूंजी बाजार में सुधार के दूसरे चरण के बारे में सोचना होगा।’’

पूंजी बाजार सुधारों की शुरुआत

वर्ष 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने पूंजी बाजार सुधारों की शुरुआत की थी। इस क्रम में पूंजी बाजार के कुशल विनियमन और विकास के लिए 1992 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना की गई थी।

लक्ष्य के अनुरूप निवेश

सीईए ने यह भी कहा कि देश को समग्र और व्यापक तस्वीर के लिए लक्ष्य के अनुरूप निवेश को लेकर अनुमान लगाने की आवश्यकता है। इस निवेश को कर्ज और इक्विटी के माध्यम से पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि भारत कुछ महीनों में जेपी मॉर्गन सरकारी बॉन्ड सूचकांक में शामिल होगा, उसके बाद जनवरी 2025 से हम ब्लूमबर्ग बॉन्ड सूचकांक का भी हिस्सा होंगे। इससे देश में पूंजी आएगी।”

सतर्क रहने की जरूरत

नागेश्वरन ने यह भी कहा कि भारत को विदेशी पूंजी प्रवाह पर निर्भरता को लेकर बहुत सावधान रहना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगले तीन से पांच साल में हमें वैश्विक वित्तपोषण पर निर्भरता की सीमा के बारे में सतर्क रहने की जरूरत है। लेकिन 2047 की यात्रा के दूसरे चरण में मुझे लगता है कि हमारे लिए विदेशों से बड़ी मात्रा में पूंजी लेने के अवसर होंगे।’’

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