Business Idea: अगर आप कम पैसे लगाकर मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आज हम आपको एक बेहतर बिजनेस आइडिया दे रहे हैं। इस बिजनेस के जरिए आप जल्द ही करोड़पति बन सकते हैं। यह सब्जी उगाने का बिजनेस। यह एक ऐसा बिजनेस है जिसमे लागत भी कम आती है। कम समय में मोटी कमाई की जा सकती है। हम आपको कुछ ऐसी सब्जियां बता रहे हैं। जिनकी बाजार में कीमत 1200-1500 रुपये प्रति किलो बिकती हैं। कभी-कभी इनके दाम करीब 2000 रुपये किलो तक पहुंच जाते हैं। भारत में पिछले कुछ सालों से किसानों के बीच जागरूकता फैली है। अब किसान कई तरह की फसलें उगा रहे हैं।
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट्स आम तौर पर किसानों को ऐसी फसलों और सब्जियों की खेती करने की सलाह देते हैं, जो हमेशा बाजार में अच्छे कीमत पर बिकती है। जो किसान महंगी सब्जियों की फसले करते हैं, वो हर साल बाजार से लाखों रुपये की कमाई करते हैं।
जानिए किन सब्जियों की खेती कर देगी मालामाल
शतावरी की खेती
शतावरी की सब्जी भारत की महंगी सब्जियों में से एक है। इसकी कीमत में बाजार में करीब 1200 रुपये से लेकर 1500 रुपये के बीच है। इस सब्जी को खाने से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इतना ही नहीं शतावरी की मांग विदेश में भी है।
बोक चाय की खेती
यह एक विदेशी सब्जी है। इसकी खेती भारत में बहुत कम होती है। अब भारत के किसानों ने भी बोक चाय की खेती करनी शुरू कर दी है। बाजार में इसका एक तना करीब 120 रुपये में बिकता है।
चेरी की खेती
एक्सपर्ट्स आमतौर पर चेरी टमाटर खाने की सलाह देते हैं। यह सब्जी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती है। लिहाजा बाजार में इसकी कीमत आम टमाटरों के मुकबाले काफी ज्यादा है। मौजूदा समय में बाजार में इसकी कीमत करीब 350- 450 रुपये प्रति किलो है।
जुकीनी की खेती
जुकीनी सेहत और स्वाद के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। आमतौर पर वजन घटाने के लिए इस सब्जी का इस्तेमाल किया जाता है। लिहाजा जुकीनी की बाजार में हमेशा डिमांड बनी रहती है। यह किसानों के लिए काफी मुनाफेदार साबित होती है।
गुच्छी एक पहाड़ी सब्जी है। यह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, शिमला, मनाली जैसे इलाकों के जंगलों में कुदरती उगती है। इसके अलावा उत्तराखंड और कश्मीर के कुछ इलाकों में पाई जाती है। यह फूलों और बीच से भरे गुच्छों की सब्जी है। इसे सुखाकर सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। पहाड़ी लोग इस सब्जी को टटमोर या डुंघरू भी कहते हैं। भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ चरकसंहिता में इसे सर्पच्छत्रक कहा गया है।