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Budget 2024 : FY24 में विनिवेश का टारगेट हासिल होने की उम्मीद नहीं, सरकार ने जुटाए सिर्फ 10051 करोड़

Budget 2024 : FY24 में विनिवेश का टारगेट हासिल होने की उम्मीद नहीं, सरकार ने जुटाए सिर्फ 10051 करोड़

Budget 2024 : वित्तमंत्रा Nirmala Sitharaman के 1 फरवरी को आने वाले यूनियन बजट में डिसइनवेस्टमेंट के टारगेट पर खास निगाहें होंगी। इसकी वजह यह है कि सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के लिए तय डिसइनवेस्टमेंट के टारगेट को पूरा नही कर पाई है। डिसइनवेस्टमेंट का मतलब सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने से है। इसके लिए सरकार कई तरीकों का इस्तेमाल करती है। इनमें IPO, OFS और रणनीतिक बिक्री (Strategic Sale) जैसे तरीके शामिल हैं।

FY24 के लिए 51000 करोड़ रुपये का टारगेट

सूत्रों का कहना है कि यूनियन बजट 2024 पेश होने से पहले सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के डिसइनवेस्टमेंट के टारगेट पर विचार करेगी। इस वित्त वर्ष के लिए सरकार ने डिसइनवेस्टमेंट के लिए 51,000 करोड़ रुपये का टारगेट तय किया था। लेकिन, वह अब तक सिर्फ 10,051 करोड़ रुपये जुटा सकी है। यह टारगेट का करीब 20 फीसदी है।

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FY24 के बाकी महीनों में बढ़ सकता है सरकार का फोकस

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार इस वित्त वर्ष के बाकी महीनों में डिसइनवेस्टमेंट पर फोकस बढ़ा सकती है। उसकी कोशिश टारगेट के करीब पहुंचने की होगी। अब तक सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरपाइजेज (CPSEs) में विनिवेश के जरिए सिर्फ 10,051 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। डिसइनवेस्टमेंट का टारगेट इस वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद कम है। यही वजह है कि CPSEs के डिविडेंड पर सरकार की निर्भरता बढ़ गई है। सीपीएसई से सरकार को अच्छा डिविडेंड मिला है। इस वित्त वर्ष में सरकार ने सीपीएसई से डिविडेंड के लिए 43,000 करोड़ रुपये का टारगेट तय किया था। यह टारगेट हासिल हो चुका है, जबकि अभी इस वित्त वर्ष के तीन महीने बाकी हैं।

विनिवेश सरकार की फिस्कल पॉलिसी का अहम हिस्सा

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए डिसइनवेस्टमेंट का टारगेट तय करते वक्त फिस्कल ऑबजेक्टिव और स्ट्रेटेजिक इनवेस्टमेंट के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगी। पिछले कुछ दशकों से डिसइनवेस्टमेंट सरकार की फिस्कल पॉलिसी का अहम हिस्सा रहा है। विनिवेश जुलाई 1991 में शुरू हुए बड़े इकोनॉमिक रिफॉर्म्स का अहम हिस्सा रहा है। इसके जरिए सरकार उन सरकारी कंपनियों के लिए रास्ते तलाशने पर जोर देती रही है, जो घाटे में रही हैं। अब तक सरकार लगातार घाटा उठाने वाली कई कंपनियों को प्राइवेट कंपनियों को बेच चुकी है।

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