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Budget 2024-25 : सरकार हर साल क्यों यूनियन बजट पेश करती है, इसके क्या फायदे हैं

Budget 2024-25 : आजादी के बाद देश का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था। तब से हर साल केंद्र सरकार अपना बजट पेश करती है। बजट तैयार करने की प्रक्रिया सितंबर-अक्टूबर में शुरू हो जाती है। वित्तमंत्रालय बजट को लेकर इंडस्ट्री, इकोनॉमिस्ट्स और दूसरे एक्सपर्ट्स से राय मांगती है। अलग-अलग मंत्रालयों को अगले वित्त वर्ष के अपना खर्च और जरूरतों के बारे में बताने को कहा जाता है। सवाल है कि आखिर केंद्र सरकार को बजट पेश करने की जरूरत क्यों पड़ती है? इसे क्यों हर साल पेश किया जाता है? बजट पेश करने के क्या फायदे हैं? मनीकंट्रोल ने इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश की है।

हर परिवार की तरह सरकार के लिए भी जरूरी है बजट

यह जान लेना जरूरी है कि जिस तरह हम अपनी इनकम को ध्यान में रख अपने परिवार का मंथली बजट बनाते हैं, उसी तरह केंद्र सरकार भी अपनी इनकम और खर्च को ध्यान में रख बजट बनाती है। दोनों के बीच सबसे बड़ा फर्क बजट के साइज का है। केंद्र सरकार के बजट का आकार बहुत बड़ा होता है। इसकी वजह यह है कि एक परिवार से अलग सरकार को कई तरह के खर्च करने पड़ते हैं। सरकार अपने जरूरी खर्च का पहले अनुमान लगाती है। फिर, उसे पूरे करने के लिए वह उपायों पर गौर करती है। जिस तरह परिवार के बजट में खर्च को पूरा करने के लिए इनकम का इस्तेमाल किया जाता है, उसी तरह सरकार के बजट में खर्च को पूरा करने के लिए रेवेन्यू का इस्तेमाल होता है।

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बजट में सरकार प्राथमिकताएं तय करती है

संविधान के आर्टिकल 312 में एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट के बारे में व्यापक रूप से बताया गया है। एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट को ही बजट कहा जाता है। बजट का पहला मकसद इनकम और एक्सपेंडिचर का अनुमान लगाना है। यह अनुमान लगाने के बाद सरकार अपने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार, इकोनॉमिक ग्रोथ सरकारी की प्राथमिकता में सबसे ऊपर होते हैं। सरकार इकोनॉमी की जरूरत को ध्यान में रख हर साल बजट में इनके लिए फंड का आवंटन करती है।

बजट में निवेश बढ़ाने के उपायों पर फोकस

सरकार बजट में इकोनॉमी की रफ्तार बढ़ाने वाले उपायों पर भी फोकस करती है। आर्थिक वृद्धि दर तेज करने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी पूंजीगत खर्च सबसे जरूरी है। यही वजह है कि सरकार का फोकस हर साल अपने पूंजीगत खर्च को बढ़ाने पर होता है। सरकार प्राइवेट सेक्टर को भी पूंजीगत खर्च बढ़ाने के लिए कहती है। इससे इकोनॉमी के अलग-अलग सेक्टर में निवेश बढ़ता है। निवेश होने से नौकरियों के मौके पैदा होते हैं। नौकरियों के ज्यादा मौके पैदा होने से ज्यादा संख्या में लोगों की जेब में पैसे पहुंचता है।

आर्थिक समस्याओं के समाधान की कोशिश

बजट के जरिए सरकार देश की बड़ी आर्थिक समस्याओं का समाधान करने की भी कोशिश करती है। 2019 में पीएम किसान सम्मान निधि का ऐलान इसका उदाहरण है। सरकार ने किसानों की आर्थिक मदद के लिए इस स्कीम का ऐलान किया था। इसी तरह यूपीए सरकार ने ग्रामीण इलाकों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की मदद के लिए मनरेगा की शुरुआत की थी। यह स्कीम आज भी चल रही है। इसके तहत सरकार की तरफ से हर परिवार के एक सदस्य को साल में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गांरटी दी जाती है।

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