Interim Budget 2024-25: बजट आने में अब बस 2 हफ्ते बचे हैं। लेकिन शेयर बाजार में अभी से भारी उतार-चढ़ाव दिखने लगा है। दो दिनों की तेज गिरावट से निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई हैं। वैसे तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही कह चुकी हैं कि 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में कोई बड़ा ऐलान नहीं होगा, लेकिन फिर भी बजट के फैसलों पर बाजार से प्रतिक्रिया आने की उम्मीद रहेगी। यहां अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अंतरिम बजट के बाद क्या शेयर बाजार इसमें तेजी आएगी, या फिर गिरावट। अगर तेजी-गिरावट आई तो किस आधार पर आएगी और एक्सपर्ट्स का इनपर क्या कहना है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं-
क्या कहते हैं पुराने आंकड़े?
सबसे पहले पुराने आंकड़ों पर नजर डालते हैं। पिछले 10 सालों में दो अंतरिम बजट आए हैं। दोनों ही बार सेंसेक्स ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है। 2019 के अंतरिम बजट के बाद अगले एक महीने में सेंसेक्स एक फीसदी गिर गया। लेकिन, 2014 के अंतरिम बजट के बाद एक महीने में बाजार 6 फीसदी से ज्यादा ऊपर चढ़ा था। हालांकि, अगर 3 महीने के अंतराल को देखें तो, दोनों अंतरिम बजट पेश होने के बाद के सेंसेक्स ने अच्छी तेजी दिखाई थी। 2019 में सेंसेक्स इस दौरान करीब 7 फीसदी चढ़ा था तो 2014 में यह 19 फीसदी से ज्यादा चढ़ा था।
अंतरिम बजट को लेकर क्या है सेंटीमेंट?
अब आते हैं कि इस बार अंतरिम बजट को लेकर क्या सेंटीमेंट हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि 1 फरवरी को पेश बजट में सरकार का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर बना रहेगा। साथ ही सरकार प्राइवेट सेक्टर को भी निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहेगी। एनालिस्ट्स को यह भी उम्मीद है कि सरकार पिछले साल की अपनी स्ट्रेटेजी को जारी रखेगी, जिसमें इंफ्रा पर लंबी अवधि के निवेश के साथ ही सस्टेनेबल यानी टिकाऊ आर्थिक ग्रोथ को बढ़ा दिया जाएगा। इसके अलावा इस पर भी नजर होगी कि क्या चुनाव से पहले मोदी सरकार कोई फ्री सुविधाओं यानी फ्रीबीज स्कीम का ऐलान करती है या नहीं।
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एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?
एक्सिस पीएमएस के निशित मास्टर ने बताया कि हमें सरकार की तरफ से पॉलिसी में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है, क्योंकि यह अंतरिम बजट या वोट-ऑन-अकाउंट होगा। इसलिए बजट में होने वाले ऐलान का मार्केट की चाल पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। SAS ऑनलाइन की फाउंडर और सीईओ श्रई जैन ने भी इसी तरह की राय जताई। उन्होंने कहा कि इनवेस्टर्स की नजरें इस बात पर होगी कि वोटर्स को लुभाने के लिए बजट में रेवड़िया बांटी जाती हैं या नहीं।
इस वजह से बाजार में आ सकती है गिरावट?
बाजार के लिहाज से सबसे अधिक नजर फिस्कल डेफिसिट और कैपिटल एक्सपेंडिचर पर रहेगा। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने के दौरान फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को ध्यान में रखेगी। जेफरीज का कहना है कि अगर सरकार कैपिटल एक्सपेंडिचर में कमी करती है और अगले साल इसका अनुमान 10 लाख करोड़ रुपये से कम रखती है तो मार्केट में करेक्शन यानी गिरावट आ सकता है। इससे सबसे ज्यादा उन कंपनियों के स्टॉक्स गिर सकते हैं, जो सीधे सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर से जुड़े हैं। वहीं अगर ऐसा नहीं होता है, तो मार्केट में रौनक रह सकती है।
बजट के दौरान इन आंकड़ों पर रहेगी नजर
स्टॉक मार्केट अंतरिम बजट में कई चीजों पर नजर रखना चाहेगा। इसमें फिस्कल डेफिसिट, जीडीपी ग्रोथ के अनुमान और महंगाई दर के आंकड़े हैं। मास्टर कैपिटल सर्विसेज के अरविंदर सिंह नंदा ने कहा कि इसके अलावा ग्लोबल मार्केट्स के ट्रेंड और क्रूड ऑयल के दाम का असर मार्केट के सेंटिमेंट पर पड़ेगा। साथ ही रूस-यूक्रेन, चीन-ताइवान, इजराइल-हमास जैसे जियोपॉलिटिकल डेवलपमेंट का असर भी स्टॉक मार्केट्स पर पड़ने की उम्मीद है।
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