Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। 1 फरवरी 2024 को सालाना केंद्रीय बजट से पहले सभी की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर हैं। हालांकि, आनेवाला बजट ‘अंतरिम’ होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि 2024 एक आम चुनाव वाला साल है, जिसमें चुनाव अप्रैल-मई में होने हैं। आने वाली सरकार साल के अंत में पूर्ण बजट पेश करेगी। इसलिए इससे पहले पेश होने वाल बजट यानी 1 फरवरी 2024 को वित्तमंत्री अंतरिम बजट पेश करेगी। यहां आपको बजट को लेकर पूछे जाने वाले कुछ सवालों के बारे में बता रहे हैं।
कस्टम्स ड्यूटी क्या होती है?
यह एक तरह की लेवी है जिसे देश में आयात और निर्यात होने वाली चीजों पर लगाया जाता है। इसका पेमेंट आयातक और निर्यातक की तरफ से किया जाता है।
केंद्रीय बजट क्या है?
यूनियन बजट में बतौर एक देश भारत की सालाना रिपोर्ट होती है। इसमें एक खास वित्त वर्ष के आखिर में सरकार के रेवेन्यू और एक्सपेंडिचर की जानकारी होती है। वित्त वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है और यह 31 मार्च को खत्म होता है। यूनियन बजट सरकार के फाइनेंस का सबसे व्यापक दस्तावेज (Document) है। इसमें सभी स्रोतों से होने वाले वाले रेवेन्यू और सभी एक्टिविटीज पर होने वाले खर्च का जोड़ शामिल होता है। इसमें रेवेन्यू बजट और कैपिटल बजट होता है। इसमें अगले वित्त वर्ष के अनुमान भी शामिल होते हैं।
वित्त विधेयक किसे कहते हैं?
बजट पेश होने के तुरंत बाद वित्त विधेयक (Finance Bill) संसद में पेश किया जाता है। इसमें बजट में घोषित टैक्स के नियमों में बदलाव के प्रस्ताव शामिल होते हैं।
सेंट्रल प्लान आउटले क्या है?
इसमें सरकार के मंत्रालयों और इकोनॉमी के अलग-अलग सेक्टरों के बीच फंड का बंटवारा होता है।
प्लान और नॉन-प्लान एक्सपेंडिचर क्या हैं?
दो तरह के एक्सपेंडिचर होते हैं-प्लान और नॉन-प्लान। प्लान एक्सपेंडिचर में अलग-अलग मंत्रालयों के खर्च का अनुमान शामिल होता है। यह अनुमान मंत्रालय और नीति आयोग की चर्चा पर आधारित होता है। नॉन-प्लान रेवेन्यू एक्सपेंडिचर में इंटरेस्ट पेमेंट, सब्सिडी (मुख्यत: फूड और फर्टिलाइजर), सरकारी एंप्लॉयीज की सैलरी का पेमेंट, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रांट्स, पेंशन, पुलिस, इकोनॉमिक सर्विसेज, टैक्स कलेक्शन, सोशल सर्विसेज और फॉरेन गवर्नमेंट्स के ग्रांट्स पर होने वाले खर्च शामिल होते हैं। नॉन-प्लान कैपिटल एक्सपेंडिचर में मुख्यत: डिफेंस, पब्लिक एंटरप्राइजेज को लोन, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लोन और फॉरेन गवर्नमेंट के लोन शामिल होते हैं।