Interim Budget 2024 : अंतरिम बजट पेश होने में 10 दिन से कम समय रह गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। यह अंतरिम बजट होगा। इसके बावजूद इस बजट से हर सेक्टर को उम्मीद है। फिनटेक सेक्टर को भी इस बजट से कई उम्मीदें हैं। हाल में बैंकबाजार डॉट कॉम ने एक लिस्ट जारी की है। इसमें बजट से फिनटेक सेक्टर की उम्मीदें शामिल हैं। इसमें से कई मांग ऐसी हैं, जो बजट के दायरे से बाहर हैं। लेकिन फिनटेक सेक्टर को उम्मीद है कि सरकार 2024 में उनकी ये उम्मीदें पूरी करेगी। फिनटेक सेक्टर ने पिछले कुछ सालों में अच्छी ग्रोथ दिखाई है। फाइनेंशियल इनक्लूजन में इसकी बड़ी भूमिका हो सकती है। इस सेक्टर का मानना है कि सरकार से मदद मिलने पर फाइनेंशियल इनक्लूजन के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
सरकार ने सितंबर 2021 में AA Framework (एए फ्रेमवर्क) शुरू किया था। इसका इस्तेमाल सभी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के बीच इंडिविजुअल के डेटा शेयरिंग के लिए होता है। इनमें बैंक, इंश्योरेंस कंपनी सहित सभी तरह के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस शामिल हैं। इसके लिए इंडिविजु्अल की मंजूरी ली जाती है। इसका मकसद यह है कि इंडिविजुअल को अलग-अलग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन को एक ही डेटा शेयर करने की जरूरत नहीं पड़े। इसके लिए इंडिविजुअल को AA पर खुद को रजिस्टर कराना पड़ता है। यह (AA) आरबीआई रेगुलेटेड इंटिटी है। बैंकबाजार डॉट कॉम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अब भी कुछ बैंक एए का हिस्सा नहीं बन सके हैं। इनमें सिटी यूनियन बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, आरबीएल बैंक, साऊथ इंडियन बैंक जैसे बैंक शामिल हैं। जो बैंक एए से बाहर हैं, उन्हें जल्द इसका हिस्सा बनाने की पहल होनी चाहिए।
बैंकबाजार की रिपोर्ट में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर या जीएसटीएन को भी एए फ्रेमवर्क में शामिल करने की मांग की गई है। ऐसा होने पर रिटेल कंज्यूमर्स और स्मॉल बिजनेसेज को सभी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से डिजिटल तरीके से क्रेडिट हासिल करना आसान हो जाएगा। इस रिपोर्ट में डिजीलॉकर का दायरा बढ़ाने की भी मांग की गई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईपीएफओ पासबुक, ईपैन और फॉर्म 26 एएस को भी डिजीलॉकर का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इसस ग्राहकों को अपने डॉक्युमेंट्स एक्सेस करने में आसानी होगी। क्रेडिट के जल्द डिस्बर्सल के लिए वे इन्हें फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के साथ शेयर कर सकेंगे।
आरबीआई ने सितंबर 2022 में डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस जारी की थी। इसमें बैंकों और एनबीएफसी पर यह जिम्मेदारी डाली गई है कि लोन सर्विसिंग सीधे लेंडर के अकाउंट से होनी चाहिए न कि डिजिटल लेडिंग ऐप/प्लेटफॉर्म से। साथ ही लोन से जुड़ी कॉस्ट पहले ही बताई जानी चाहिए। डिजिटल लेंडिंग ऐप/प्लेटफॉर्म को कस्टमर के डेटा का दुरूपयोग करने से रोका गया था। बैंकबाजार की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन लेंडिंग के लिए एक समान मौके उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है।